झारखंड के औद्योगिक नगरी आदित्यपुर में 2 हजार से भी अधिक छोटी- बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं. कई सरकारी संस्थान हैं. मगर गरीब और मध्यमवर्गीय कामगारों के बच्चों के लिए एक भी सरकारी या निजी और सहज- सुलभ पुस्तकालय नहीं हैं.
इसको ध्यान में रखते हुए 30 साल पूर्व शिक्षाविद डॉक्टर बीएनल कर्ण ने 2 अक्टूबर 1991 को आदित्यपुर कॉलोनी रोड नम्बर 15 में सरस्वती सदन पुस्तकालय की बुनियाद रखी थी. स्थानीय लोगों ने पुस्तकालय में शिवलिंग की स्थापना कर उसपर कब्जा जमा लिया. मामला तत्कालीन शिक्षा मंत्री रामचंद्र पूर्वे तक पहुंचा. उन्होंने तत्कालीन उपायुक्त सजल चक्रवर्ती को पुस्तकालय के लिए स्थल उपलब्ध कराने का निर्देश दिया उसके बाद उपायुक्त के निर्देश पर एक सरकारी भवन में पुस्तकालय संचालित हो रहा है मगर वह भवन अब जर्जर हो चुका है. यहां से पढ़कर करीब छः सौ बच्चे सरकारी नौकरी प्राप्त कर चुके हैं. मंगलवार को आदित्यपुर नगर निगम के अपर नगर आयुक्त ने पुस्तकालय प्रबंधन को बच्चों द्वारा दिए गए कोर्स और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों से सम्बंधित पुस्तक सौंपा. इसकी क्रम में पुस्तकालय प्रबंधन द्वारा नगर निगम से स्थायी पुस्तकालय निर्माण कराए जाने की मांग की. इसके लिए आवास बोर्ड से जमीन उपलब्ध कराने की भी मांग उठायी. इस संबंध में अपर नगर आयुक्त गिरजा शंकर प्रसाद ने बताया कि आवास बोर्ड के पास आवेदन लंबित है, जैसे ही वहां से क्लियरेंस मिलेगा, बोर्ड बैठक में पुस्तकालय का प्रस्ताव रखा जाएगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही नगर निगम पुस्तकालय के जीर्णोद्धार और स्थायी भवन के लिए पहल करेगा. वहीं सरस्वती सदन पुस्तकालय के संचालक डॉक्टर बीएनएल कर्ण ने अपर नगर आयुक्त से पुस्तकालय भवन दो मंजिला बनाने की मांग की, ताकि वाचनालय के साथ ऊपरी तल का प्रयोग गरीब और निर्धन बच्चों के शादी- विवाह में प्रयोग लाया जा सके.
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