झारखंड अलग राज्य बने 21 साल बीत चुके हैं. पिछले एक साल को छोड़ दिया जाए तो राज्य में भाजपा या भाजपा के समर्थन की सरकार रही है. वैश्विक महामारी के दौर ने राज्य के सिस्टम का आईना दिखा दिया है.
अस्पताल के इमरजेंसी के बाहर मवेशियों का कब्जा
शिक्षा स्वास्थ्य से लेकर हर जनहित के मुद्दे पर राज्य का सिस्टम लाचार और बेबस नजर आया. चलिए कुछ तस्वीरों के जरिए आप झारखंड के आर्थिक राजधानी और झारखंड के राजनीति की बिसात तय करनेवाले शहर जमशेदपुर के साकची स्थित कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की जमीनी हकीकत जानने का प्रयास कीजिए.
होमगार्ड जवानों के लिए बना भवन
यहां जो तस्वीरें आप देख रहे हैं, यह है कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम अस्पताल की. जो कहीं ना कहीं सरकारी बदइंतजामी और अस्पताल प्रबंधन के लापरवाही का दंश झेल रहा है.
गार्ड रूम के छत का नजारा
करोड़ों रुपए के सालाना बजट वाले इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल के दुर्दशा की कहानी आपको अस्पताल में प्रवेश करने से लेकर हर वॉर्ड और भवन बयां कर देगा. अस्पताल में प्रवेश करते ही बायीं तरफ आपको मिलेगा अस्पताल की सुरक्षा में तैनात होमगार्ड जवानों के लिए बना भवन. जो ये बताने के लिए काफी है, कि जिन जवानों के कंधे पर पूरे अस्पताल के सुरक्षा की जिम्मेवारी है, उन जवानों की जान कभी भी भवन के मलबे में दबकर जा सकती है.
ठीक उसके बगल में आपको मिलेगा अस्पताल के कर्मचारियों के हक और हुकूक की आवाज को बुलंद करने वाले यूनियन कार्यालय का.
यूनियम दफ्तर
जिसकी आवाज इस भवन के नीचे दबकर हमेशा के लिए खामोश हो सकती है. चलिए अब चलते हैं अस्पताल के शीतगृह की ओर जहां इलाज के दौरान मरने वालों के शवों को रखा जाता है.
ईंटों की बैसाखी पर टिका मुर्दाघर का एसी
भले कहने को यह शीतगृह कहलाता है, लेकिन जरा शीतगृह के एयर कंडीशन को देखिए. किस तरह ईंटों के बैसाखी पर एसी टिका हुआ है. अब चलिए आपको इमरजेंसी वार्ड की तरफ लेकर चलते हैं. जहां मवेशी आराम फरमाते आपको नजर आ जाएंगे. इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि यह अस्पताल मवेशियों का तबेला हो चला है. वैसे हमारे दावे तब और पुख्ता हो गए जब हमें अस्पताल के वार्डों के आसपास आवारा कुत्तों का वर्चस्व दिखा. जिन्हें आप तस्वीरों में देख सकते हैं, जो कभी भी अस्पताल के मरीजों को नुकसान पहुंचाने का माद्दा रखते हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि कोल्हान ने राज्य को तीन-तीन मुख्यमंत्री और छह मंत्री दिए हैं.
वॉर्ड या स्कूटी की निगरानी कर रहा आवारा कुत्ता ?
वर्तमान में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री भी जमशेदपुर पश्चिम के विधायक हैं. हर सरकार ने एमजीएम अस्पताल को हाईटेक बनाने का दावा किया, लेकिन सब सरकारी घोषणाओं की फाइलों में दबकर दम तोड़ रहे हैं. इसमें अस्पताल प्रबंधन की भूमिका से भी इंकार नहीं किया जा सकता.
मुर्दाघर के बाहर लावारिस स्ट्रेचर
इस संबंध में जब हमने मंत्री के एमजीएम प्रभारी मनोज लाहा से जानने का प्रयास किया, तो उन्होंने कोरोना महामारी के कारण विकास कार्य अवरुद्ध होने की बात कही. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया, कि अस्पताल के आठ भवन जर्जर हो चुके हैं. उन्होंने बताया, कि अस्पताल का बाउंड्री वॉल जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गया है. यही कारण है कि अस्पताल में आवारा पशुओं घुस आते हैं. वैसे उन्होंने अस्पताल की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों को इसे गंभीरता से लेने का निर्देश दिए जाने की बात कही. राजेश लहा ने बताया कि जल्द ही अस्पताल की सभी समस्याओं का निराकरण करा दिया जाएगा. मंत्री गंभीर हैं और संबंधित एजेंसियों को तलब किया गया है. उन्होंने बताया कि जल्द ही अस्पताल के गेट पर एक गार्ड रूम का निर्माण कराया जाएगा, ताकि गेट की ड्यूटी पर तैनात जवानों को वर्षा और धूप से बचाया जा सके. वही झारखंड राज्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य कर्मचारी महासंघ के प्रदेश महामंत्री अमरनाथ सिंह ने बताया, कि यूनियन कार्यालय के जर्जर होने की जानकारी विभागीय पदाधिकारियों के साथ मेंटेनेंस का काम देखने वाले एजेंसी के इंजीनियर को भी दिया गया है. उन्होंने बताया कि इंजीनियर द्वारा जल्द ही जर्जर भवनों का मरम्मत कराने की बात कही गयी है. वहीं अस्पताल में इलाज कराने पहुंच रहे मरीज अस्पताल की व्यवस्था से बेहाल नजर आए. कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि कोल्हान का यह सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल राजनीति के शतरंज का एका मोहरा बन गया है जिसकी बिसात में प्रबंधक, चिकित्सक से लेकर सफाई कर्मी और मरीज हैं, जितने बीच हर दिन सह और मात का खेल चल रहा है. नतीजा अबतक नहीं निकल सका है.
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