जमशेदपुर: टीएमएच के प्रतिष्ठित डॉक्टर एबी बलसारा के जायदाद से बेदखल होने के बाद पुत्र डॉ फरहाद ए बलसारा और तलाकशुदा पुत्रवधू कामिनी शर्मा बलसारा इन दिनों फिर से सुर्खियों में हैं. वैसे इस बार डॉक्टर फरहाद की नजर अपनी बड़ी साली के आदित्यपुर स्थित हेवेन पैलेस का फ्लैट नम्बर 501 पर था. पिता के संपत्ति से बेदखल होने के बाद डॉक्टर फरहाद अपने श्वसुर की मौत के बाद यहां रह रहे थे. हालांकि फ्लैट के अंदरखाने की बात अचानक बीते 22 मई को उस वक्त सामने आया जब अचानक डॉक्टर फरहाद की सास रमामणि शर्मा ने खुद को फ्लैट में कैद कर लिया और बेटी- दामाद को घर में प्रवेश करने से रोक लगा दिया. धंटो दरवाजा नहीं खोलने के बाद डॉ फरहाद ने आदित्यपुर थाने को इसकी सूचना दी, जिसके बाद मौके पर पहुंची आदित्यपुर थाना पुलिस ने स्थानीय पार्षद की मौजूदगी में ताला तोड़कर भीतर प्रवेश करने की बात कही. वहीं डॉ फरहाद ने स्थानीय पार्षद नीतू शर्मा को फोन कर मामले की जानकारी दी. पार्षद मौके पर पहुंची और अपनी मौजूदगी में फ्लैट का ताला तुड़वाकर भीतर प्रवेश किया. बुजुर्ज महिला रमामणि शर्मा ने बेटी और दामाद पर खुद को प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाते हुए तत्काल उन्हे घर से सामना के साथ बाहर निकालने की मांग की. पुलिस और पार्षद की मौजूदगी में दोनों बेटी- दामाद जरूरी सामान लेकर वहां से चले गए. इसी बीच किसी ने कोल्हान के डीआईजी को बुजुर्ज महिला का वीडीओ ट्वीट कर दिया. जिसपर डीआईजी ने त्वरित संज्ञान लेते हुए महिला को इंसाफ दिलाने का निर्देश सरायकेला- खरसावां पुलिस को दिया. जिसके बाद बीते सोमवार को आदित्यपुर थाना पुलिस एवं स्थानीय पार्षद की मौजूदगी में डॉ फरहाद बलसारा अपनी पत्नी के साथ अपना सामान ले गए. उधर मीडिया कर्मियों के साथ डॉ की पत्नी ने बदसलूकी करते हुए फोटो लेने से रोक दिया. इतना ही नहीं जबकि मीडियाकर्मियों को खुद रमामणि शर्मा ने बुलाया था. खैर कामिनी शर्मा बलसारा अपने पति के साथ अना सामान लेकर घर से निकल गई. उन्होंने औऱ उनके पति ने इस पूरे घटनाक्रम को साजिश करार दिया, और इसके लिए बिल्डर को आरोपी बताया. दोनों का कहना था कि बिल्डर साजिश के तहत उन्हें यहां से भगाकर बूढ़ी सास से फ्लैट अपने नाम कराना चाह रहा है. वैसे फ्लैट को लेकर विवाद भी चल रहा है. जो न्यायलय में लंबित है. डॉ फरहाद ने अपनी सास को मनोरोगी और शराब व नशे का आदी बताया, जबकि महिला बिल्कुल ही सामान्य लग रही थी. हर सवालों का सटीक और तार्किक जवाब पुलिस और मीडिया को दे रही थी. पड़ोसियों ने भी महिला को सामान्य बताया, जबकि पड़ोसी डॉ फरहाद और कामिनी बलसारा को बुजुर्ग महिला को प्रताड़ित किए जाने की बात कहते सुने गए.
ससुराल से समान सहित निकाले जाते वक्त डॉ फरहाद एवं उनकी पत्नी कामिनी शर्मा बलसारा
वहीं घटना के तीन दिन बाद कामिनी शर्मा की एक और करतूत सामने आयी है. एक स्थानीय रिपोर्टर को वॉट्सएप पर गाली देने और दूसरा पार्षद के साथ बदसलूकी करने का मामला प्रकाश में आया है. दोनों ही मामले सोषल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. पार्षद पारिवारिक काम से शहर से है, उन्होंने वापस लौटने के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की बात कही.
नीतू शर्मा (पार्षद वार्ड- 17)
वैसे श्रीमती कामिनी शर्मा बलसारा की मां इस पूरे प्रकरण में पार्षद और पत्रकारों द्वारा किए गए सहयोग की सराहना की. साथ ही भरोसा दिलाया है, कि अगर उनकी बेटी और दामाद उन्हें परेशान करते हैं, तो वे पत्रकारों और पार्षद का साथ देंगीं.
रामामणि शर्मा (डॉक्टर फरहाद बलसारा की सास)
हालांकि सवाल ये नहीं कि कौन किसका साथ देता है कौन नहीं. सवाल ये है, कि जिस मामले को कामिनी शर्मा बलसारा पारिवारिक मामला बताकर मीडिया कर्मियों एवं जनप्रतिनिधि के साथ बदसलूकी किया, उस कामिनी शर्मा बलसारा को यह बताना चाहिए, कि आखिर सही क्या है. अगर वो सही है तो ससुराल के साथ मायके से भी उन्हें क्यों बेआबरू होकर पुलिस की मौजूदगी में बेदखल होना पड़ा. एक मां जिसके कलेजे का टुकड़ा बेटी होती है, उसे ऐसा क्यों कहना पड़ा, कि भगवान ऐसी बेटी दुश्मन को भी ना दें. कामिनी शर्मा बलसारा को यह बताना चाहिए, कि आखिर ऐसा क्या हुआ जब उनकी मां उनके चेहरे से भी नफरत करने लगी, और दामाद सहित घर से निकालने पर अड़ गयी. क्यों आपकी तीन- तीन बहनें और इकलौते भाई ने आपका साथ नहीं दिया. मीडिया कर्मी अगर गरीबों के मामलों को समाज के सामने लाए, तो अखबारों की सुर्खियां बनती है. लेकिन अगर समाज के संभ्रांत लोगों और रसूखदारों के मामले को उजागर करें, तो मीडिया गलत कैसे ? क्या इज्जत सिर्फ रसूखदारों की ही होती है ? कामिनी शर्मा बलसारा अगर आप पाक- साफ थीं, तो आपको मीडिया के समक्ष अपनी बात रखनी चाहिए थीं, ना कि मीडिया के साथ बदसलूकी और गाली गलौज कर अपनी भड़ास निकालनी चाहिए थी.
जनप्रतिनिधि होने के नाते पार्षद एक चुने गए प्रतिनिधि होते हैं. उन्हें आपके मामले में दिलचस्पी नहीं थी. आपके पति ने उन्हें उस वक्त फोन किया था, जब आपकी मां ने खुद को घर में कैद कर आपको और आपके पति को घर में घुसने से रोक लगा दिया. पुलिस ने भी बगैर पार्षद के घर में प्रवेश करने और ताला तोड़ने की अनुमति नहीं दी भी. आपको मीडिया और पार्षद का शुक्रगुजार होना चाहिए क्योंकि उनकी मौजूदगी में आप अपने सारे सामानों को सुरक्षित अपने मायके से निकाल ले जा पाने में सफल रहीं. मगर आपने उन्हें भी नहीं बख्शा आप पर मुकदमा क्यों दर्ज नहीं होनी चाहिए ? समाज को ऐसे सभ्रांत लोगों से परहेज करनी चाहिए क्योंकि जो न अपने ससुराल की हुई न मायके की. ऐसे लोगों से सभ्य समाज को हमेशा खतरा बना रहेगा
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