बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा बुधवार लिये गये निर्णय से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव समेत जेल में बंद सैकड़ों जमानत की आस लगाए कैदियों को राहत मिली है.
अब इन लोगों को बेल बांड, मुचलके की राशि और अन्य कागजी प्रक्रिया पूरी करने में फंसा पेच दूर हो गया है. अब इनके कागजी कार्रवाई के लिये वकील अदालत में जा सकेंगे. बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा बुधवार को दिये गये आदेश की प्रति सभी राज्यों के बार कौंसिल को भेज दी गयी है.
झारखंड बार काउंसिल को भी आदेश मिल गया है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कहा है, कि कई राज्यों के बार काउंसिल ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए वकीलों को अदालती काम से अलग रहने का आदेश दिया था.
ऐसे में उन लोगों को परेशानी हो रही थी, जिन्हें जमानत मिल गयी है और बेल बांड, मुचलका और अन्य कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाने की वजह से जमानत मिल जाने के बावजूद वे जेल में बंद हैं, और बाहर नहीं आ पा रहे हैं.
काउंसिल के पदाधिकारियों ने यह महसूस किया, कि बेल हो जाने के बावजूद किसी को जेल में रखना मानवाधिकारों का उल्लंघन है. ऐसे में जिन्हें जमानत मिल गयी है, उन्हें बाहर निकालने के लिए वकीलों को अदालती प्रक्रिया में शामिल होने से रोका जाना उचित नहीं है.
उसके बाद बार काउंसिल ने सभी राज्यों के बार काउंसिल को ऐसे लोगों की जमानत की प्रक्रिया पूरी करने के लिए वकीलों को अदालत में शामिल होने की अनुमति प्रदान की है. बार कौंसिल के इस आदेश के बाद लालू प्रसाद यादव समेत सैकड़ों लोगों को राहत मिलेगी. जो बेल होने के बावजूद कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं होने की वजह से जेल में बंद हैं.
अब जमानत की कागजी प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी जेल से बाहर निकल जाएंगे. चारा घोटाले में सजा काट रहे व पिछले तीन वर्षो से जेल में बंद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को 17 अप्रैल को झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिल गयी थी, लेकिन अब तक उनकी अदालती प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी थी.
अब उनके बाहर निकलने का रास्ता साफ हो गया है. न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने उन्हें जमानत दी थी.
धीरज कुमार अधिवक्ता हाईकोर्ट