राज्य में कोरोना महामारी विकराल रूप धारण कर चुका है. राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग इस महामारी की रोकथाम को लेकर हर मुमकिन प्रयास करने का दावा कर रही है, लेकिन जरा सरकारी व्यवस्था का नजारा देखिए आपको अंदाजा लगा जाएगा, कि सरकारी तंत्र के दावों में कितनी सच्चाई है.
किस तरह कोरोना महामारी के खिलाफ बगैर हथियारों के भगवान भरोसे कोरोना ड्यूटी पर तैनात एएनएम, स्वास्थ्यकर्मी और शिक्षिकाएं अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं.
ये नजारा है सरायकेला जिले के आदित्यपुर स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय का. जिले के उपायुक्त के निर्देश बाद यहां वैक्सिनेशन अभियान की शुरुआत की गई है. वैसे तो यहां हर दिन 30 से 35 लोगों का वैक्सिनेशन हो रहा है, लेकिन वैक्सीनेशन अभियान से जुड़े स्वास्थ्य कर्मियों एवं शिक्षिकाओं को किसी तरह का कोई सुरक्षा प्रदान नहीं किया गया है, ना ही वैक्सीन लेने पहुंच रहे लोगों की जांच ही कराई जा रही है.
इतना ही नहीं विभागीय स्तर पर इन्हें ना तो सैनिटाइजर ना मास्क ना ही हैंड ग्लब्स मुहैया कराया गया है. ऐसे में ये स्वास्थ्य कर्मी अगर संक्रमित होते हैं, तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी. कुल मिलाकर सरकार और जिला प्रशासन ने समाज को कोरोना मुक्त बनाने के लिए अपने ही लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है.