आदित्यपुर: नवजात शिशुओं के उपचार के मामले में मेडिनोवा हेल्थ केयर वरदान साबित हो रहा है. एनएसयू केयर के अत्याधुनिक तकनीक और कुशल चिकित्सकों की टीम दिनरात यहां अपनी सेवा देकर नवजातों को न केवल नई जिंदगी दे रहे हैं बल्कि उनके माता- पिता के उम्मीद और भरोसे पर भी खरा उतर रहे हैं. हाल के दिनों में ऐसे दो मामले सामने आए हैं जो इस अस्पताल की प्रतिबध्दता साबित भी कर रहे हैं.


पहला मामला फातिमा खातून के नवजात शिशु का है. 12 मार्च 2025 को किसी दूसरे अस्पताल से फातिमा निराश होकर अपने सात महीने के बच्चे को लेकर यहां पहुंची थी. बच्चे का वजन सामान्य से कम था और वह कई जटिल बीमारियों जैसे सांस लेने में परेशानी, सांस बार- बार छोड़ देना, शरीर में ग्लूकोस की कमी, आंत में रक्तस्राव, प्लेटलेट्स की कमी, ब्रेन में सूजन, खून का रिसाव जैसी बीमारियों से ग्रसित था. लगभग ढाई महीने के अथक परिश्रम से यहां के डॉक्टर राजेश कुमार, पूजा अग्रवाल एवं रश्मि वर्मा के संयुक्त प्रयास से न केवल बच्चे को पूर्ण रूप से स्वस्थ कर परिजनों को सौंपा गया, बल्कि बच्चे का वजन 1 किलो से ऊपर हो गया. बच्चा अब पूरी तरह से स्वस्थ है. रविवार को बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. इस दौरान बच्चे की मां फातिमा खातून की आंखों में ममता की झलक देखी गई. उन्होंने अस्पताल के डॉक्टरों का आभार जताया.
बच्चे के साथ फातिमा और उसे पति, साथ में चिकित्सक
दूसरा मामला भी बेहद जटिल और अस्पताल के मानवीय संवेदनाओं को प्रदर्शित कर रहा है. दरअसल छः महीने से इस अस्पताल में एक नवजात वेंटिलेटर पर है. चांडिल के बासाहतु की मंजू कुमारी अपने नवजात शिशु का ईलाज कराने यहां पहुंची थी. चूंकि अस्पताल में आयुष्मान भारत योजना के तहत भी बच्चों का ईलाज किया जाता है. दोनों केस में बच्चों का ईलाज आयुष्मान योजना से ही किया गया. इसमें डेढ़ महीने तक ही अस्पताल में भर्ती कर ट्रीटमेंट का प्रावधान है. मंजू कुमारी के बच्चे को वेंटिलेटर से हटाते ही उसकी सांस रुक जाती है. मानवीय संवेदनाओं के आधार पर अस्पताल प्रबंधन बच्चे को छः महीने से वेंटिलेटर पर रखकर उसका ईलाज कर रहा है. मंजू कुमारी इस उम्मीद पर है कि कहीं से कोई चमत्कार हो और उसका बच्चा कुदरत द्वारा उपलब्ध सांस लेने में सक्षम हो. अस्पताल के डॉक्टर भी अपने स्तर से हर संभव प्रयास कर रहे हैं.
अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश कुमार ने बताया कि इस अस्पताल में आनेवाले शिशुओं के परिजनों को निराश होकर नहीं लौटने दिया जाता है. अस्पताल में शिशुओं में होनेवाले सभी प्रकार के बीमारियों और आपातकालीन सेवा उपलब्ध हैं. अबतक पांच सौ से भी अधिक शिशुओं को इस अस्पताल में जीवनदान मिला है.
