सरायकेला/ Pramod Singh सरायकेला- खरसावां को जिला बने चौबीस साल पूरे हो गए. इस अवसर पर जिला प्रशासन की ओर से बुधवार को जिले का चौबीसवां स्थापना दिवस मनाया गया . इस अवसर पर जिला के उपायुक्त रविशंकर शुक्ला एवं पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार लुणायत ने झारखंड के महान स्वतंत्रता सेनानी और महापुरुषों की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.


इसके तहत सरायकेला नगर क्षेत्र के बिरसा चौक एवं जिला समाहरणालय स्थित भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा के साथ सीदो- कान्हू पार्क में स्वतंत्रता सेनानी सीदो- कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया.
उपायुक्त ने जिले वासियों को जिला स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उन सभी पुण्य उद्देश्यों को आज स्मरण करने की आवश्यकता है जिसके लिए सरायकेला- खरसावां को नए जिला के रूप में कल्पना किया गया था. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन जिले वासियों तक कल्याणकारी योजनाओं को पहुंचाने के लिए कृत संकल्पित है.
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि प्रशासन जिले वासियों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर है. जिलावासी जहां भी है और जिस क्षेत्र में हैं वहां बेहतर करें जिससे जिला का नाम रौशन हो. मौके पर डीडीसी आशीष अग्रवाल, अपार उपायुक्त जयवर्धन कुमार, जिला आपूर्ति पदाधिकारी सत्येंद्र कुमार महतो समेत जिले के अन्य पदाधिकारी मौजूद थे.
24 साल का हुआ सरायकेला- खरसावां, चुनौतियां अभी भी कम नहीं
घनी आबादी वाले इस जिला मुख्यालय में रेलवे स्टेशन तक नहीं है जबकि रेलवे ने सिर्फ राजस्व प्राप्ति के लिए जिला मुख्यालय में रेलवे टिकट आरक्षण केंद्र ही खोला है. लोहे की खान चाईबासा जिला व लौहनगरी जमशेदपुर को जोड़ने वाली सरायकेला से कांड्रा तक सिर्फ सिंगल रोड का ही निर्माण हो पाया है. सिंगल सड़क के कारण अक्सर हादसें हो रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी कच्ची सड़कों पर ही जीवन गुजर बसर हो रहा है. जिला का एक मात्र सबसे बड़ा अस्पताल सदर अस्पताल है. यहां प्रतिदिन 250 से 300 मरीज आते हैं लेकिन संसाधनों व विशेषज्ञ डॉक्टरों के अभाव में उचित इलाज नहीं हो पाता है. जिसके कारण छोटी- मोटी बीमारी व दुर्घटना में मरीजों को दूसरे जिला रेफर करना सदर अस्पताल की नियति बन गयी है. जिले में सिंचाई की सुविधा नहीं होने के कारण वर्ष में सिर्फ एक बार धान की फसल किसान उगा पाते हैं वह भी केवल बरसात के दिनों में जिसके बाद सिंचाई के अभाव में खेतों में दरारे पड़ने लगती है. जिले में करोड़ों रुपये की लागत से कैनल का तो निर्माण करा दिया गया लेकिन सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने के कारण वे बेकार पड़े हैं. सरायकेला- खरसावां में खेती योग्य क्षेत्र 79803.15 हेक्टेयर जमीन है लेकिन सिंचाई के अभाव में किसान पलायन करने को मजबूर हैं. जिला मुख्यालय में नगर पंचायत द्वारा दो करोड़ की लागत से बस स्टैंड तो बना दिया गया लेकिन वहां तक जाने के लिए चौड़ी सड़क नहीं होने के कराण बस स्टैंड उपयोगहीन है. भीड़- भाड़ वाले क्षेत्र गैरेज चौक पर बीच सड़क पर ही बस खड़ी होती है. जिले की बिजली व्यवस्था भगवान भरोसे ही चलती है. हल्की हवा व बारिश आते ही बिजली घंटों गुल रहती है. जर्जर बांस के सहारे आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली व्यवस्था बहाल की जा रही है. शिक्षा के क्षेत्र की बात करें तो प्रभारी प्रधानाध्यापक के सहारे विद्यालयों का संचालन हो रहा है. जिले का औद्योगिक ढांचा दो हजार से अधिक उद्योगों व व्यवसायिक इकाइयों पर खड़ा है. इनमें आदित्यपुर उद्योगिक क्षेत्र में बड़ी कंपनी 200, मंझले कंपनी 300, छोटे कंपनी 900 हैं. 90 फीसद कंपनियां आटो मोबाइल सेक्टर पर आधारित है. आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में तो विकास की शुरुआत हो गई है लेकिन गैर औद्योगिक क्षेत्रों का एक बड़ा हिस्सा आज भी विकास की बाट जोह रहा है. सरायकेला- खरसावां मार्ग पर खापरसाई में संजय नदी पर करोड़ो रुपये खर्च कर लगभग सात वर्ष पहले बनाया गया पुल एप्रोच रोड के अभाव में बेकार पड़ा हुआ है.
