गम्हरिया: अंचल कार्यालय में गुरुवार को उस वक्त हंगामा खड़ा हो गया जब झामुमो नेता सह पदमपुर के ग्राम प्रधान कृष्णा बास्के खुद को असामाजिक तत्व कहकर संबोधित अंचलाधिकारी के पत्र का विरोध करते हुए अपने समर्थकों संग गम्हरिया अंचल कार्यालय पहुंचे और सीओ कुमार अरविंद बेदिया को कार्यालय कक्ष के बाहर बुलाकर सार्वजनिक रूप से वार्ता की. और उनके द्वारा दिये गए नोटिस का जवाब दिया. हालांकि झामुमो नेता के गुस्से को देखते हुए अंचलाधिकारी ने अपनी भूल स्वीकार की और पत्र में सुधार कर नया पत्र जारी करने का आश्वासन दिया उसके बाद मामला शांत हुआ.


क्या है मामला
दरअसल ओलंपियन स्व. शिवनाथ सिंह को सरकार द्वारा गम्हरिया अंचल के पदमपुर मौजा में हल्का सं०- 4 खाता नं. 77 प्लॉट नं.- 313 रकवा 1.26 एकड़ जमीन आवंटित किया गया है. उनके पुत्र अर्जुन सिंह ने उक्त जमीन पर आमाजिक तत्वों द्वारा कब्जा किए जाने की शिकायत अंचलाधिकारी से की थी. अंचलाधिकारी ने उक्त आवेदन आलोक में जमीन पर ग्राम प्रधान के दावे से संबंधित दस्तावेज के साथ गुरुवार कृष्णा बास्के को तलब किया था. कृष्णा बास्के पहुंचे जरूर मगर असामाजिक तत्व कहकर संबोधित पत्र दिए जाने पर नाराजगी जताई और अंचल अधिकारी के कक्ष में न जाकर उन्हें कक्ष से बाहर बुलाकर स्पष्टीकरण दिया और दावे से संबंधित पत्र सौंपा.
क्या है स्पष्टीकरण में
पत्र के माध्यम से कृष्णा बास्के ने बताया कि देश के राष्ट्रपति द्वारा 11 अप्रैल 2007 को लोक अधिसूचना के तहत सरायकेला- खरसावां जिला को पूर्णतः अनुसूचित जिला के रूप में अधिसूचित किया गया है. इसके तहत पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्र विस्तार अधिनियम) 1996 और JPRA 2001 इस क्षेत्र में पूर्ण रूप से लागू है. भारत का सर्वोच्च न्यायालय का एक महत्त्वपूर्ण निर्णय समता बनाम आंध्र प्रदेश 1997 में कहा गया है कि अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि और प्राकृतिक संसाधनों पर आदिवासियों का विशेष अधिकार है और उन्हें गैर आदिवासी लोगों या कंपनियों को भूमि लीज पर या खनन के लिए नहीं दिया जा सकता है. उपरोक्त प्रसांगिक प्रत्रांक के आलोक में श्री अर्जुन सिंह पिता स्व० शिवनाथ सिंह को झारखंड सरकार द्वारा मौजा पदमपुर, थाना सं० 47, हल्का सं० 4, खाता सं० 77, प्लॉट नं० 313, रकवा 1.26 एकड भूमि को झारखंड सरकार द्वारा बंदोबस्ती आवंटित बताकर अपना हक दावा कर रहे हैं, जो पूर्ण रूप से अवैध और असंवैधानिक है. चूंकि अनुसूचित क्षेत्र में किसी योजना- परियोजना के लिए और भूमि लीज बंदोबस्ती पूर्व ग्राम सभा की सहमति अनिवार्य होती है, लेकिन स्व० शिवनाथ सिंह को 1.26 एकड़ भूमि झारखंड सरकार द्वारा बंदोबस्ती पूर्व ग्राम सभा नहीं किया गया है ना ही भूमि लीज बंदोबस्ती के लिए सहमति दिया गया है. इसलिए उपरोक्त अवैध और असंवैधानिक लीज बंदोबस्ती को रद्द करने की अवश्यकता महसूस हो रही है. उन्होंने अंचलाधिकारी से मामले की जांच कर स्व० शिवनाथ सिंह को आवंटित लीज बंदोबस्ती भूमि का बंदोबस्ती रद्द करने की मांग की है.
