गम्हरिया: खेरवाल सांवता जाहेरगाड़ समिति की ओर से टायो गेट स्थित जाहेरगढ़ में आयोजित बाहा पर्व में बुधवार को सूबे के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन शामिल हुए और पारंपरिक परिधान में बाहा- बोंगा की पूजा- अर्चना कर राज्य और क्षेत्र के समृद्धि की कामना की.


उनके साथ झामुमो नेता गणेश चौधरी, जिलाध्यक्ष डॉ शुभेंदु महतो, गणेश महाली, कृष्णा बास्के, डब्बा सोरेन एवं अमृत महतो ने भी पूजा- अर्चना की. सभी को नायके बाबा ने जाहेरथान में साल वृक्ष के नीचे पारंपरिक रीति- रिवाज से पूजा- अर्चना कराया. और साल फूल दिया जिसे सभी ने कानों में लगाकर ईस्ट देवता से सुख, समृद्धि खुशहाली की कामना की. इससे पूर्व कमेटी के सदस्यों ने सभी अतिथियों का ढोल- नगाड़ा बजाकर पारंपरिक रीति- रिवाज के साथ स्वागत किया.
अपने संबोधन में मंत्री रामदास सोरेन ने कहा किसी भी समाज का भाषा और संस्कृति ही उसकी पहचान है. उन्होंने कहा भगवान बिरसा मुंडा, सिदो- कान्हू, चांद- वैरभ, फूलो- झानो समेत तमाम वीरों ने अपनी संस्कृति बचाने के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बिगुल फूंका था. उन वीरों के कारण यहां एसपीटी व सीएनटी एक्ट की स्थापना हुई थी.
विपक्ष पर साधा निशाना
मंत्री ने राज्य सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए विपक्ष पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के डोमिसाइल नीति को साजिश के तहत राज्य में लागू नहीं किया गया जिससे राज्य का नियोजन नीति आज तक नहीं बन पाया. भाजपा सरकार ने राज्य के शैक्षणिक व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है. वर्तमान सरकार ने 36000 शिक्षकों के बहाली का रास्ता साफ कर दिया है. जल्द ही इसको लेकर अधिसूचना जारी की जाएगी. इसके लिए उन्होंने विशेषज्ञों की टीम को पश्चिम बंगाल भेजा था ताकि जनजातीय भाषा के शिक्षकों की बहाली भी हो सके. उन्होंने कहा कि एक बार स्थिति ट्रैक पर आते ही नियमित अंतराल पर शिक्षकों की बहाली निकालती रहेगी जिससे राज्य में न केवल शैक्षिक माहौल व्यवस्थित होगा बल्कि राज्य के युवा शिक्षित होंगे.
देर शाम तक चलता रहा पारंपरिक नृत्य- संगीत
इस मौके पर देर शाम तक मांदर और नगाड़े के धुन पर समाज के युवक- युवतियां, महिला- पुरुष एवं बच्चे पारंपरिक परिधान में नृत्य- संगीत का लुफ्त लेते रहे. इसमें करीब 150 गांवों के ग्रामीणों के ग्रामीण जुटे.
इनकी रही सफल भागीदारी
इसे सफल बनाने समिति के प्रो राजू मांझी, भोमरा मांझी, उदय मार्डी, कोंदा बेसरा, सोखेन हेम्ब्रम, गोम्हा हांसदा, सोनाराम मार्डी, रामसोय सोरेन, भीम हांसदा, मनसा मुर्मू आदि का सराहनीय योगदान रहा.
