रांची: ईचागढ़ की विधायक सविता महतो ने झारखंड विधानसभा में पूछे जाने वाले तारांकित प्रश्न में चांडिल डैम से हुए विस्थापितो का मामला उठाया. जिसमे उन्होंने चांडिल डैम के निर्माण से हुए विस्थापितों को पुनर्वासित किए जाने हेतु 22 स्थल चिन्हित किया गया है लेकिन उसमें से मात्र 13 स्थान को ही आधा अधूरा विकसित किया गया है, उत्तर स्वीकारात्मक है.

उन्होंने पूछा क्या यह बात सही है कि माकुला, सितु, कुन्द्रीलोंग, घाघारी, बान्दु, झीमरी, मुरगडीह एवं चाकरी गांव को अबतक विकसित नहीं किया गया है ? उत्तर स्वीकारात्मक है. उत्तर में बताया गया कि 13 पुनर्वास स्थल में कुल 4342 आवासीय भूखंड है जिसमें से 2641 भूखंड विस्थापितों को आवंटित है एवं 1701 भूखंड शेष है. 13 पुनर्वास स्थल पर रिक्त भूखंड पर पूर्ण आवंटन के पश्चात अन्य 9 पुनर्वास स्थल पर भूखंड आवंटन एवं विकसित करने की कार्रवाई की जाएगी. वही विधायक ने प्रश्न किया कि झारखंड सरकार की पुनर्वास नीति के तहत विस्थापितों को नियोजित किए जाने का प्रावधान है. उत्तर अस्वीकारात्मक. चांडिल डैम के निर्माण के विस्थापितों को वर्ष 1990 तक सरकारी विभागों में नियोजन किया गया है. उत्तर स्वीकारात्म. झारखंड सरकार के सभी विभाग अंतर्गत सभी कार्यालयों में तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के बहुत सारे पद रिक्त पड़े हुए हैं. उत्तर स्वीकारात्मक. उन्होंने चांडिल डैम से विस्थापित हुए विस्थापितों को चिन्हित कर उनकी योग्यता अनुसार तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय रिक्त पदों पर नियोजित करने का विचार रखती है. उत्तर पुनरक्षित पुनर्वास नीति 2012 की कंडिका 6.1 के अनुसार विभाग अंतर्गत सृजित वर्ग 3 एवं 4 के पदों के विरुद्ध नियुक्ति में अधिमानता एवं कंडिका 9.1 के अनुसार 3 वर्ष आयु सीमा में छूट दिए जाने का प्रावधान है.
