सरायकेला Pramod Singh सरकार लाख दावे कर ले मगर जबतक सरकारी मशीनरी की इक्षाशक्ति नहीं होगी तबतक सरकारी दावों को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सकता. चाहे किसी भी विभाग का मामला हो प्रतिबद्धता जरूरी है. यहां हम बात कर रहे हैं स्वास्थ्य विभाग की. सूबे के स्वास्थ्य मंत्री चीख- चीखकर दावे कर रहे हैं मगर उनके दावों को सरायकेला सदर अस्पताल का सिस्टम आईना दिखा रहा है.
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दरसल शुक्रवार को सरायकेला- चाईबासा मार्ग पर टांगरानी के समीप सड़क के किनारे खड़े ट्रैक्टर से स्कूटी के टकरा जाने से एक युवक उपेंद्र गोप की घटना स्थल पर ही मौत हो गई जबकि स्कूटी के पीछे बैठा गणेश गोप गंभीर रूप से घायल हो गया था. घटना के बाद सदर अस्पताल सरायकेला में गणेश गोप का इलाज चल रहा था. अचानक से उसके नाक से खून बहना शुरू हो गया जो रुक नहीं पा रहा था. चिकित्सकों ने खून रोकने का बहुत प्रयास किया किंतु खून नहीं रुका. इसके बाद आनन- फानन में उसे एमजीएम रेफर कर दिया गया. रेफर होने के बाद घायल मरीज घंटो 108 एंबुलेंस में तड़पता रहा जबकि एंबुलेंस चालक केस आईडी लेने के लिए परेशान रहा. एक घंटे बाद चालक को आईडी मिला उसके बाद ही मरीज को ले जाया गया. मरीज के चाचा गुलशन बानरा ने कहा कि सरकारी प्रक्रिया पूरी करने के चक्कर में गंभीर रूप से घायल मरीज एंबुलेंस में एक घंटे से अधिक समय तक तड़पता रहा. इतनी देर में मरीज दूसरे अस्पताल पहुंच जाता और उसका उपचार भी शुरू हो जाता, किंतु सरकारी प्रक्रिया के चक्कर में मरीज तड़पता रहा. कहा कि सरकार सुविधाओं के नाम पर बड़े- बड़े दावे करती है लेकिन धरातल पर इसका सही समय पर लाभ नहीं मिल पाता. कहा इस स्थिति में अगर मरीज के साथ कोई अनहोनी हो जाती है तो इसका जिम्मेवार कौन होगा.
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