देवघर: मंगलवार से झारखंड में दसवीं (मैट्रिक) की परीक्षा आरंभ हो गई, लेकिन देवघर जिले के पुनासी उच्च विद्यालय के दर्जनों छात्र और छात्राएं इस परीक्षा से वंचित रह गए. इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति से छात्र- छात्राओं में आक्रोश और निराशा व्याप्त है.


क्या है मामला
छात्रों का आरोप है कि विद्यालय के प्रधानाचार्य की लापरवाही के कारण वे परीक्षा देने से वंचित रह गए, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है. छात्रों का कहना है कि उन्होंने समय पर परीक्षा आवेदन भरा था, लेकिन प्रधानाचार्य ने सही समय पर उनके फार्म बोर्ड तक नहीं पहुंचाए. जब वे परीक्षा के लिए अपने केंद्रों पर पहुंचे तो वहां उनका नाम सूची में नहीं था, जिससे वे हताश हो गए. इस अनहोनी से वे मानसिक रूप से टूट चुके हैं और उनके माता- पिता भी बेहद चिंतित हैं.
उपायुक्त से की शिकायत
छात्रों ने इस गंभीर लापरवाही की शिकायत जिले के शिक्षा अधीक्षक और उपायुक्त विशाल सागर से की है. उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले की जांच कर दोषी प्रधानाचार्य पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में किसी अन्य छात्र के साथ ऐसा न हो. छात्रों का कहना है कि उनकी मेहनत पर पानी फिर गया है और यदि उन्हें इस वर्ष परीक्षा में बैठने का अवसर नहीं मिला तो उनका एक वर्ष बर्बाद हो जाएगा.
कटघरे में विद्यालय प्रबंधन की भूमिका
इस घटना के बाद विद्यालय प्रबंधन की भी भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है. छात्रों का कहना है कि विद्यालय प्रशासन को इस विषय में पहले से सतर्क रहना चाहिए था. ताकि समय पर फार्म जमा कराए जा सकते. कई छात्र- छात्राओं ने बताया कि जब उन्होंने प्रधानाचार्य से इस विषय में सवाल किया तो उन्होंने कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया और उन्हें अनदेखा कर दिया. छात्राओं का कहना है. कि इस लापरवाही का असर खासतौर पर उन पर अधिक पड़ेगा. क्योंकि उनके परिवार की सामाजिक और आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे एक और साल बर्बाद कर सकें. उनके लिए शिक्षा का यह अवसर बेहद महत्वपूर्ण था, लेकिन प्रधानाचार्य की लापरवाही ने उनकी आशाओं को तोड़ दिया. अब सवाल यह उठता है कि क्या जिले के शिक्षा अधिकारी और उपायुक्त इन छात्रों को न्याय दिला पाएंगे ? क्या इन छात्रों को परीक्षा में शामिल होने का कोई वैकल्पिक अवसर दिया जाएगा ? या फिर वे एक साल इंतजार करने को मजबूर होंगे ? यह देखना बाकी है कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और दोषी पर क्या कार्रवाई करता है. छात्रों और उनके अभिभावकों को अब सिर्फ न्याय की उम्मीद है.
