चांडिल: हमसदा स्थित एक निजी होटल में समाजसेवी बाबूराम सोरेन ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. प्रेस वार्ता में बाबूराम सोरेन ने कहा कि 26 जनवरी 1950 में भारतीय संविधान लागू किया गया जिसमें भारत के मूलवासियों के लिए एक विशेष प्रावधान दिया गया. इसके बाद 24 दिसंबर 1996 को पेसा कानून बनाया गया.
पेसा कानून अनुसूचित क्षेत्र के लिए है. आज के दिन 24 दिसंबर को लोग जगह- जगह में पेसा कानून दिवस मना रहे हैं. लेकिन, इसका उद्देश्य क्या रहा यह जानना बेहद जरूरी है. आज आदिवासी कानून होने के बाद भी हम आदिवासी पीड़ित है. आदिवासियों की उन्नति नहीं हो रही है. चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र में हो, चाहे स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो या फिर विभिन्न प्रकार के रोजगार में आदिवासियों में हर जगह पिछड़ापन है. खुशी की बात है कि आदिवासियों के लिए कानून बना लेकिन दुख की बात यह है कि कानून का अनुपालन नहीं हो रहा है. इसलिए पेसा कानून को शत- प्रतिशत लागू करना चाहिए और ट्राइबल की जो समस्या है उसे देखनी चाहिए.