चांडिल: अनुमंडल के वरिष्ठ पत्रकार सुदेश कुमार (51 लागभग) की शनिवार देर रात हर्ट अटैक से मौत हो गई है. जिससे पत्रकारिता जगत में शोक की लहर दौड़ पड़ी है. करीब दो दशक तक आंचलिक पत्रकारिता की धुरी रहे सुदेश ने कई छोटे- बड़े मीडिया संस्थानों में अपनी सेवा दी. वर्तमान में वे अपने निजी मीडिया संस्थान वनांचल 24 लाइव का संचालन कर रहे थे. अपने पीछे पत्नी और दो छोटे- छोटे बच्चे (पुत्र) छोड़ गए हैं.
प्रेस क्लब ऑफ सरायकेला- खरसावां ने जताई संवेदना; बोले अध्यक्ष परिवार को मिले आर्थिक सहयोग
सुदेश कुमार के आकस्मिक निधन पर प्रेस क्लब ऑफ सरायकेला- खरसावां के अध्यक्ष मनमोहन सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष सुमंगल कुंडू (केबु) महासचिव रमजान अंसारी, उपाध्यक्ष अरुण कुमार माझी, प्रमोद सिंह, विपिन कुमार वार्ष्णेय, रासबिहारी मंडल, विश्वरूप पांडा, नवीन प्राधन, कल्याण पात्रो, अफ़रोज़ मल्लिक सहित क्लब के अन्य पत्रकारों ने गहरी संवेदना प्रकट करते हुए सरकार और जिला प्रशासन से तत्काल दिवंगत पत्रकार के परिजनों को आर्थिक सहयोग की मांग की है. बताया जा रहा है कि दिवंगत पत्रकार की आर्थिक माली हालत ठीक नहीं थी. वे पिछले कुछ दिनों से तनाव के दौर से गुजर रहे थे. हालांकि वे क्लब के सदस्य नहीं थे मगर प्रेस क्लब के गठन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वे जमशेदपुर प्रेस क्लब और पत्रकार संगठन एआईएसएम के पदाधिकारी थे.
जिद्दी और जुनून के पक्के थे सुदेश
मूल रूप से बिहार के बांका निवासी सुदेश जिद्दी और जुनून के पक्के इंसान थे उन्हें करीब से जानने वाले बताते हैं कि” एको अहम द्वितीयो नास्ति” के फार्मूले पर वह काम करते थे. जिस मुद्दे को ठान लिया उसपर काम करते थे और अंजाम तक पहुंचाने तक उसपर काम करते थे. जिससे कई बार उनकी संबंधित अधिकारियों, नेताओं और माफियाओं के साथ रिश्ते तनावपूर्ण भी होते रहे. बावजूद उन्होंने जीवन में कभी हार नहीं मानी. यही वजह रही कि कभी भी उन्हें उचित पारिश्रमिक नहीं मिला जिससे परिवार की जरूरतों को पूरा किया जा सके. मुफलिसी और भविष्य बेहतर बनाने के जद्दोजहद में कर्त्तव्य पथ पर चलते हुए अंततः जिंदगी से जंग हार गए. कुदरत ने उन्हें संभलने का मौका भी नहीं दिया. तीन महीने पूर्व उनकी माता जी का निधन हुआ था. सुदेश दो भाई थे. पारिवारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रविवार दोपहर 2:00 बजे चांडिल के बामनी नदी घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.