DESK झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति (अब झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा- JLKM) का संगठन कोल्हान में तार- तार होता नजर आने लगा है. जो जुनून और जज्बा लोकसभा चुनाव या उससे पहले नजर आ रहा था उसमें न केवल कमी आयी है, बल्कि संगठन के जमीनी कार्यकर्ता बागी होते चले जा रहे हैं जिससे साफ हो गया है कि कोल्हान में जेएलकेएम वोट कटवा पार्टी बनने जा रही है. वैसे indianewsviral.in शुरू से ही जयराम या उससे जुड़े कार्यकर्ताओं के उन्मादी बयानों पर कुठाराघात करता रहा है.
जयराम शिक्षित है इसमें कोई दो राय नहीं, मगर उसके उन्मादी भाषणों से झारखंड के आदिवासी और प्रवासी गैर आदिवासी भावनाएं आहत हुई हैं. लोकसभा चुनाव के मैदान में जयराम के कूदने के बाद उसकी मंशा लोगों ने भांप ली और उसे हार झेलनी पड़ी. वहीं लोकसभा चुनाव हारने के बाद अब विधानसभा चुनाव में जयराम ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की है. अबतक उसकी पार्टी जेएलकेएम ने 20 विधानसभा सीटों के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की है. मगर टिकट बंटने के बाद कोल्हान के जेबीकेएसएस काल से जुड़े वैसे कार्यकर्ता जिनके कंधे पर पैर रखकर जयराम ने राजनीति का मैदान तैयार किया यूं कहें कि जयराम महतो को “टाईगर” बनानेवाले उन्मादी कार्यक्रमों अब उनके खिलाफ मुखर हो कर शोशल मीडिया पर जमकर भड़ास निकाल रहे हैं.
ऐसे कई नाम हैं जैसे सूरज महतो, कुलदेव महतो (सरायकेला) उदय बंकिरा (राजनगर), कोल्हान शेरनी के नाम से सुर्खिया बटोरने वाली बेबी महतो (राजनगर), प्रकाश महतो (चमारु) अमित महतो (प. सिंहभूम) जिन्होंने जयराम महतो को खतियानी आंदोलन के नायक के रूप में उभारा. मगर जो- जो जयराम के आंदोलन का हिस्सा रहे अब वे उनसे या तो दूर हो चुके हैं या किनारा लगा दिए गए. इनमें एक बड़ा चेहरा कुलदेव महतो है. जानकारी हो कि राजनगर में पहली बार जयराम की ऐतिहासिक जनसभा का आयोजन कुलदेव ने ही कराया था, मगर कुलदेव ने अब जयराम की पार्टी से न केवल किनारा कर लिया है बल्कि वे खुलकर सोशल मीडिया पर जयराम महतो के खिलाफ टिप्पणी कर रहे हैं. “वीर शहीद निर्मल महतो स्मारक समिति” नामक एक व्हाट्सएप ग्रुप में कुलदेव द्वारा जयराम महतो के खिलाफ किया गया पोस्ट इन दिनों खूब तेजी से वायरल हो रहा है. जिसमें कुलदेव ने जयराम की तुलना स्वघोषित जानवर” से की है. कुलदेव ने लिखा है… “स्वघोषित जानवर अर्थात जे एल के एम के केंद्रीय अध्यक्ष (टाइगर) जयराम महतो या तो सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनने की कोशिश कर रहे हैं या फिर वर्तमान में उनके इर्द-गिर्द के जो चमचे हैं उन्हें मजबूर कर रहे हैं कुछ तो ऐसी कमजोरी होगी कि जो लोग उन्हें आज मजबूर कर रहे हैं उनके पास जयराम का कुछ ऐसा कड़ी है जिसका जयराम उनका बात काट नहीं पता है ! कोल्हान ही नहीं पूरे प्रदेश में जो भी भाषा आंदोलन के अग्रणी पंक्ति के लीडर थे उनमें से किसी को वर्तमान में वह अपने साथ नहीं रखे हैं क्योंकि उन्हें भली भांति मालूम है की जो आंदोलन खुद से खड़ा कर सकता है और नेतृत्व भी खुद से कर सकता है तो कहीं जयराम के लिए आने वाले दिनों में या जयराम से बड़ा नेता न बन जाए ! इसलिए जयराम महतो अपने इर्द-गिर्द ऐसे लोगों को रखे हैं जो आंदोलन खड़ा करने तो दूर की बात है जो अपना बुथ भी लीड नहीं करवा सकता है और इस परिस्थिति में या तो वह जानबूझकर अपने आंख को बंद किए हुए हैं या मजबूर है?”
इससे साफ जाहिर होता है कि कोल्हान में जयराम की पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में शून्य पर बोल्ड होने जा रही है. अभी ईचागढ़ सीट पर भी घमासान मचने जा रही है. कुल मिलाकर कहें तो जयराम महतो का संगठन जेबीकेएसएस का राजनीतिकरण होते ही जयराम महतो ने अपने उन्मादी समर्थकों से किनारा कर लिया. वैसे झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति के उन्मादी कार्यकर्ताओं को इस बात का एहसास होने लग गया है कि हर पीली चीज सोना नहीं हो सकती. वे अब मृगतृष्णा से बाहर निकल नए मंजिल की तलाश में जुट गए हैं.