EDITORIAL/ झारखंड में विधानसभा चुनाव की डुगडुगी कभी भी बज सकती है. सत्ता पक्ष और विपक्ष अपने तरकस के सारे तीर को तराशकर उसे कब कहां और किस रूप में साधना है इसकी तैयारी लागभग कर चुकी है. हालांकि अभी भी कई पेंच ऐसे हैं जिसे सुलझाने में पक्ष और विपक्ष के बीच तल्खी बढ़ सकते हैं. सबसे ज्यादा सीट शेयरिंग और प्रत्याशियों के नामों को लेकर विवाद गहरा सकता है.
वैसे सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए ही आगामी चुनाव कांटों भरा सफर होने जा रहा है. सत्ता पक्ष जहां चुनावी मौसम में दनादन पिटारों से योजनाओं की बरसात कर रही है वहीं विपक्ष अभी “ऑपरेशन लोटस” के तहत बोरो खिलाड़ियों पर गिद्ध दृष्टि जमाए बैठा है. दोनों के लिए यही परेशानी का सबब बनने जा रहा है. सत्ता पक्ष के घोषणाओं को विपक्ष जहां चुनावी घोषणा बताकर घेर रही है वहीं विपक्ष यानी बीजेपी आलाकमान अपनों से ज्यादा बाहरी को तरजीह देकर दनादन पार्टी में शामिल करा रही है जिससे उसके जमीनी कार्यकर्ताओं और टिकट की उम्मीद लगाए बैठे नेताओं को नागवार गुजर रहा है. यही कारण है कि जमीनी कार्यकर्ताओं की नाराजगी और टिकट न मिलने से नाराज नेता बगावत कर सकते हैं जिससे पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है. वहीं दोनों ही खेमें में सीट शेयरिंग को लेकर भी खींचतान होने की प्रबल संभावना बनी हुई है.
अब बात करते हैं कोल्हान की. यहां विधानसभा की 14 सीटें हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का यहां सूपड़ा साफ हो गया था. उस वक्त आजसू एनडीए का हिस्सा नहीं थी और सरयू राय भाजपा से बागी होकर बीजेपी की लंका में आग लगा बैठे जिसकी तपिश से आज भी बीजेपी जल रही है. यही कारण है कि बीजेपी यहां एक भी नेता को चुनाव के लिए तैयार करने में नाकाम रही. बीजेपी यहां “ऑपरेशन लोटस” के जरिये पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को साधने में सफल हो गयी. और कोल्हान में बीजेपी या यूं कहें एनडीए की वापसी के आसार नजर आने लगे हैं.
वैसे अभी एनडीए में सीटों को लेकर कोई सहमति नहीं बनी है मगर सत्ता से बेदखल होने के बाद बीजेपी अब कोई रिस्क लेने के मोड में नहीं है. सबकुछ यदि ठीकठाक रहा तो 81 सीटों वाले विधानसभा में बीजेपी आजसू को 10 से 11 सीट और जदयू को दो सीट देने जा रही है. संभव है कि 1 सीट लोजपा को भी मिले मगर इसकी संभावना नहीं के बराबर है. अब बात करते हैं एनडीए का कोल्हान में किस तरह से सीट शेयरिंग होगा. यदि गठबंधन का फार्मूला तय होता है तो बीजेपी यहां 11 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है, आजसू दो और जदयू एक सीट पर चुनाव लड़ेगी.
चंपाई के बीजेपी में शामिल होने के बाद बिजेपी भले सभी 14 सीटों पर एनडीए के जीत का दावा कर रही है मगर हमारी टीम ने जो आंकड़े जुटाए हैं और हाल ही में संपन्न हुए बीजेपी की “परिवर्तन यात्रा” और सत्ता पक्ष के “मंईयां सम्मान यात्रा” के विधानसभा वार रिपोर्ट के आधार पर हमारी टीम ने जो आंकड़े जुटाए हैं उसके अनुसार कुल सात सीटों पर एनडीए की वापसी होने जा रही है. इनमें भाजपा की स्थिति सरायकेला, जमशेदपुर पूर्वी, पोटका, घाटशिला जगन्नाथपुर में मजबूत है. जबकि जुगसलाई सीट पर आजसू की स्थिति मजबूत है. ईचागढ़ को लेकर गठबंधन का पेंच फंस सकता है यह बीजेपी की पारंपरिक सीट रही है. यदि बीजेपी इसे आजसू को दे देती है तो यह सीट बीजेपी के हाथों से सदा के लिए निकल जायेगी. इस सूरत में आजसू यहां मजबूत नजर आ रही है मगर यहां आजसू को जेएलकेएम के खतरे से निपटना पड़ सकता है. इसमें दो सीट (जमशेदपुर पश्चिम और बहरागोड़ा) सीट पर कांटे का मुकाबला होने के आसार हैं. जमशेदपुर पश्चिम यदि जदयू कोटे में जाता है तो यहां से सरयू राय की उम्मीदवारी तय है. वे दो बार इस सीट से बीजेपी के टिकट पर विधायक चुने गए थे. 2019 के विधानसभा चुनाव में टिकट काटे जाने के बाद उन्होंने बगावत का रुख अख्तियार करते हुए जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को बुरी तरह से पराजित करते हुए उनके राजनीतिक कैरियर पर ग्रहण लगा दिया. इस बार यदि यह सीट जदयू कोटे में जाता है तो निश्चित तौर पर सरयू राय चुनावी मैदान में होंगे और उनका मुकाबला राज्य राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बना गुप्ता से होगा. अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र होने के कारण सरयू राय को थोड़ा संघर्ष करना पड़ सकता है, मगर यदि बीजेपी ने उन्हें पूर्ण रूप से समर्थन कर दिया और भीतराघात नहीं हुआ तो यह सीट निकालना उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं होगी. वैसे बन्ना गुप्ता के लिए इस बार यहां हालत ठीक नहीं है. इसी तरह बहरागोड़ा में भी बीजेपी और झामुमो दोनों की स्थिति ठीक नहीं है. बीजेपी से यहां प्रत्याशी कौन होगा इसपर संशय बना हुआ है, जबकि झामुमो से वर्तमान विधायक समीर कुमार मोहंती के खिलाफ लोगों में नाराजगी है. यहां भी जेएलकेएम की दमदार उपस्थिति होगी. यदि जेएलकेएम इस सीट से दमदार प्रत्याशी उतारने में सफल रहती है तो सत्ता पक्ष और बीजेपी के लिए यह सीट निकालना मुश्किल हो सकता है.
हमारे सर्वे के अनुसार आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का कोल्हान में खाता नहीं खुलने जा रहा है. राष्ट्रीय जनता दल कहीं भी मुकाबले में नहीं है. झारखंड मुक्ति मोर्चा मनोहरपुर और चाईबासा में वापसी कर सकती है मगर चक्रधरपुर, खरसावां और मझगांव विधानसभा सीट पर उसे संघर्ष करना पड़ सकता है. मंझगांव सीट पर इसबार भूषण पाट पिंगुआ दमदार उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं. जबकि खरसावां और सीकेपी सीट पर मुकाबला रोचक होने के आसार हैं. वैसे अभी इसमें और भी उलटफेर होने की प्रबल संभावना है. सब निर्भर करता है सीट शेयरिंग के फार्मूले और प्रत्याशियों के चयन पर. यह रिपोर्ट जमीनी स्तर पर किए गए सर्वे के आधार पर तैयार गई है. पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन सभी 14 सीटों पर किंग मेकर की भूमिका में होंगे इसमें कोई दो राय नहीं.