चांडिल: प्रखंड के चिलगु पुर्नवास स्थल पर बसे हुए चांडिल डैम के विस्थापितों को फिर एक बार विस्थापन का डर सताने लगा है. ग्रामीणों के बीच भय का माहौल बना हुआ है. चिलगु पुर्नवास स्थल पर अब वन विभाग ने अपना दावा ठोंक दिया है और चिलगु पुर्नवास स्थल को अवैध बताया है.
दअरसल, कल गुरुवार को दलमा वन विभाग के फोरेस्टर दल बल के साथ पहुंचकर चिलगु पुर्नवास स्थल से एक मिक्सचर मशीन को जप्त कर अपने साथ लेकर चले गए है. लघु सिंचाई विभाग की ओर से 98 लाख रुपये की लागत से चिलगु स्थित नाला में चेक डैम निर्माण कार्य चल रहा है. निर्माण कार्य स्थल पर रखे एक मिक्सचर मशीन को वन विभाग ने जप्त कर उसे दलमा के माकुलाकोचा स्थित चेक नाका ले गई है. हालांकि, निर्माण कार्य फिलहाल बंद है.
इधर, मामले की जानकारी मिलने पर ग्रामप्रधान कामदेव दास माकुलाकोचा चेक नाका पहुंचकर आपत्ति जताई. जिसपर वन विभाग के कर्मियों ने ग्रामप्रधान को बताया है कि वन विभाग के पास जो नक्शा है, उसके अनुसार चिलगु पुर्नवास स्थल वन विभाग की भूमि है, जिसपर अवैध कब्जा तथा अवैध निर्माण कार्य किया जा रहा है. वन भूमि पर बगैर अनापत्ति प्राप्त कर चेक डैम निर्माण कार्य किए जाने के खिलाफ यह कार्रवाई की गई हैं. इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए ग्राम प्रधान कामदेव दास ने कहा है चिलगु पुर्नवास स्थल के विस्थापितों के साथ आए दिन अन्याय और अत्याचार किया जा रहा है. कभी अंचल कार्यालय तो कभी वन विभाग द्वारा पुर्नवास स्थल पर अपना दावा पेश किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि चिलगु पुर्नवास स्थल पर वन विभाग ने दावा पेश करते हुए कार्रवाई करने की चेतावनी दी है, जिसके कारण सभी विस्थापित डरे हुए हैं. ग्रामप्रधान कामदेव दास ने वन विभाग द्वारा मिक्सचर मशीन जप्त किए जाने पर आपत्ति जताई है और वन विभाग को विकास विरोधी बताया है. उन्होंने कहा कि चिलगु पुर्नवास के विस्थापितों की सुविधा के लिए चेक डैम का निर्माण कार्य चल रहा था, जिसपर बाधा उत्पन्न करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जल्द ही ग्रामसभा की बैठक होगी और वन विभाग के खिलाफ उग्र आंदोलन शुरू किया जाएगा.
इस पूरे मामले में दलमा रेंजर दिनेश चंद्रा ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. सबसे पहले तो रेंजर ने चेक डैम निर्माण स्थल की आधी भूमि को वन विभाग का बताया है. इसके चलते मिक्सचर मशीन को जप्त की गई हैं. उन्होंने बताया कि चेक डैम निर्माण कार्य कर रहे विभाग तथा उसके संवेदक के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया जाएगा. वहीं, रेंजर दिनेश चंद्रा ने बताया कि वर्तमान में जो चिलगु पुर्नवास स्थल है, वह वन विभाग की भूमि है. उन्होंने बताया कि 1964- 65 में सर्वे सेटलमेंट के समय गलती से वन विभाग की भूमि को गैर मजरूवा बिहार सरकार की भूमि के रूप में दर्ज कर दिया गया है. उसी आधार पर विशेष भूअर्जन ने अधिग्रहण कर सुवर्णरेखा परियोजना को दी है, जिसपर विस्थापितों को बसाया गया है. रेंजर ने बताया कि डीसी व एलआरडीसी को भी इस विषय की जानकारी दी है. भूमि हस्तांतरण में हुई गड़बड़ी में सुधार किया जाएगा तथा आगे की कार्रवाई की जाएगी.