कांड्रा/ Bipin Varshney एक ओर बरसात के इस मौसम में डेंगू और मलेरिया जैसी घातक बीमारियों से लोगों को बचाने के लिए जिला प्रशासन रेस है और सितंबर के पहले पखवाड़े में स्वच्छता पखवाड़ा मनाया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर स्वच्छता विभाग का कारनामा सरकार के दावों की न सिर्फ पोल खोल रही है, बल्कि विभागीय अधिकारियों के करतूतों की पोल भी खोल रही है.
यहां हम बात कर रहे हैं कांड्रा पंचायत की. जहां कुछ महीने पहले लोगों को गंदगी से निजात दिलाने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से कांड्रा और आसपास के क्षेत्र में कंक्रीट के कूड़ेदान बनाए गए. इन कूड़ेदानों के बनने से स्थानीय लोगों में खुशी देखी गई थी और लोग अपने घर के अपशिष्ट पदार्थ तथा कचरा इन्हीं कूड़ेदानों में एकत्रित करते थे. लेकिन लोगों को यह नहीं पता था कि यह सब महज एक छलावा है और उनके घरों से निकलने वाला कचरा एक दिन उनकी ही जान का दुश्मन बन जाएगा. नवनिर्मित सभी कूड़ेदान आज ओवरफ्लो हो रहे हैं. बरसात में इनमें पानी जमा होने के बाद अपशिष्ट पदार्थों के सड़ने गलने से भयंकर बदबू आ रही है. इन कूड़ेदानों ने आम लोगों का जीना मुहाल कर रखा है, लेकिन डेंगू और मलेरिया के लार्वा को फलने- फूलने का व्यापक अवसर मिल रहा है. इन कूड़ेदानों के निर्माण के बाद से आज तक एक बार भी सफाई नहीं हुई है, ना ही इनकी साफ- सफाई के प्रति पंचायत स्तर अथवा स्वच्छता विभाग की ओर से कोई दिलचस्पी ही ली गई. सभी कूड़ेदानों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब कूड़ेदान की साफ- सफाई नहीं करनी थी तो फिर लाखों रुपए खर्च कर इन कूड़ेदानों को क्यों बनाया गया ? यह सब फंड की खपत कर अपनी जेब भरने का जरिया तो नहीं था ? इस तरह के प्रश्न सभी गली- मोहल्लों और चौराहों पर चर्चा का विषय बना हुआ है. फुटबॉल मैदान के किनारे लगे गंदगी के अंबार से आजीज होकर कॉलोनी वासियों ने जिले के उपायुक्त से फरियाद लगाई है और अनुरोध किया है कि उन्हें शीघ्र भयंकर बदबू और गंदगी से मुक्ति दिलाने की कृपा की जाए.