सरायकेला: बीजेपी से जुड़ते ही पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने संथाल परगना में हो रहे घुसपैठ मामले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे राज्य की अस्मिता का मुद्दा बताते हुए राज्य के आदिवासी- मूलवासियों को एकजुट होकर इसका मुकाबला करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि बड़ा दुःख हो रहा है कि जिस बाबा तिलका माझी, वीर शहीद सीदो- कान्हू, वीरांगना फूलो- झानो के संथाल की भूमि ने अंग्रेजों की दासता स्वीकार नहीं की आज वहां बांग्लादेशी घुसपैठिए हमारी बहन- बेटियों के अस्मिता से खेल रहे हैं. वहां आदिवासियों की जमीन लूटी जा रही है. इस मुद्दे पर बीजेपी को छोड़ सभी पार्टियां मौन है.
आगे श्री सोरेन ने कहा कि आज बाबा तिलका मांझी और सिदो- कान्हू की पावन भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुका है. इससे दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल- जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं. इनकी वजह से फूलो- झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी मां, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है. आदिवासियों एवं मूलवासियों को आर्थिक तथा सामाजिक तौर पर तेजी से नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर रोका नहीं गया, तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व संकट में आ जायेगा. पाकुड़, राजमहल समेत कई अन्य क्षेत्रों में उनकी संख्या आदिवासियों से ज्यादा हो गई है. राजनीति से इतर, हमें इस मुद्दे को एक सामाजिक आंदोलन बनाना होगा, तभी आदिवासियों का अस्तित्व बच पाएगा. इस मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर दिखती है और बाकी पार्टियां वोटों की खातिर इसे नजरअंदाज कर रही है. इसलिए आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को बचाने के इस संघर्ष में, मैने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व पर आस्था जताते हुए भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने का फैसला लिया है.
उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते (18 अगस्त) को मैंने एक पत्र द्वारा झारखंड समेत पूरे देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी. उसके बाद, मैं लगातार झारखंड की जनता से मिल कर, उनकी राय जानने का प्रयास करता रहा. कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही, और उन्होंने ही सन्यास लेने का विकल्प नकार दिया. पार्टी में कोई ऐसा फोरम या मंच नहीं था, जहां मैं अपनी पीड़ा को व्यक्त कर पाता तथा मुझसे सीनियर नेता स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से दूर हैं. इसलिये झारखंड के आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों, पिछड़ों, गरीबों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं, युवाओं एवं आम लोगों के मुद्दों एवं अधिकारों के संघर्ष वाले इस नए अध्याय में आप सभी का सहयोग अपेक्षित है.