सरायकेला: पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के खिलाफ मंत्री बन्ना गुप्ता की टिप्पणी पर सरायकेला विधानसभा के विधायक प्रतिनिधि सनद कुमार आचार्य (टूलु) ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए स्वाथ्य मंत्री को मानसिक रोगी करार दिया है. साथ ही उन्हें अपने घर (कांग्रेस) को बचाने की सलाह दी है. उन्होंने एक बयान जारी करते हुए कहा कि कांग्रेसी नेताओं से बड़ा बिकाऊ और दलबदलू पूरे देश में कोई नहीं हैं. इसके सैकड़ों उदाहरण भरे पड़े हैं.
श्री आचार्य ने कहा कि मंत्री बन्ना गुप्ता को पहले ये बताना चाहिए था कि वे किस आधार पर पूर्व मुख्यमंत्री को विभीषण करार दे रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री पार्टी में हैं या नहीं यह प्रमाणपत्र उन्हें किसने दिया. ऐसा एक भी बयान या स्टेटमेंट उन्हें दिखाना चाहिए जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री ने पार्टी छोड़ने या बीजेपी जॉइन करने की बात कही हो. हां अभिव्यक्ति की आजादी हर किसी का मौलिक अधिकार है माननीय पूर्व बमुख्यमंत्री ने अपने फेसबुक पेज पर अपनी वेदना प्रकट किया है उसमें भी पूरी शालीनता से अपनी बातों को रखा है. इसपर जिस तरह की प्रतिक्रिया मंत्री महोदय ने दी है उससे उनकी योग्यता साबित होती है. जिस तरह के शब्दों और भाषाओ का प्रयोग उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ किया है वह कहीं से भी उचित नहीं है.
आगे सनद ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन पार्टी के फोरम से नाराज थे. पार्टी में उनके साथ जिस तरह का वर्ताव किया गया उससे वे आहत थे. यही बात उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है. इतनी समझ तो माननीय मंत्री जी को होनी ही चाहिए थी. एक ऐसे नेता जिन्होंने अपना पूरा जीवन पार्टी और गुरुजी को समर्पित कर दिया, उसे सत्तालोभी कहना हास्यास्पद है. जिसने अपने पूरे परिवार की चिंता छोड़ गुरुजी के साथ संघर्षों में कंधे से कंधा मिलाकर यहां के जल- जंगल और जमीन के साथ आदिवासी- मूलवासियों के लिए अपना जीवन बिता दिया उनकी उपेक्षा कर मुख्यमंत्री रहते सत्ता छीनना कहां से जायज है. जब उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ने कहा गया तब ही वे अड़ सकते थे मगर उन्होंने उसी शालीनता के साथ त्यागपत्र दिया जिस शालीनता के साथ उन्होंने संकट के घड़ी में मुख्यमंत्री पद संभाला था. श्री आचार्य ने मंत्री बना गुप्ता पर पलटवार करते हुए कहा कि यह झारखंड मुक्ति मोर्चा का अंदरूनी मामला है इसमें अपनी टांग फंसा कर खुद को इंडिया गठबंधन का हितैषी बताने वाले मंत्री को यह भी बताना चाहिए कि अगले विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के तहत ही चुनाव लड़ेंगे या किसी दूसरे दल का रुख करेंगे. पिछले विधानसभा चुनाव में भी ऐसी ही चर्चा चल रही थी. उस वक्त तो हमारी पार्टी या हमारे पार्टी के किसी बड़े नेता ने किसी तरह का कोई बयानबाजी नहीं किया था, मगर मंत्री बनने के बाद एक ऐसे राजनेता को नसीहत दे रहे हैं जिनकी राजनीति ही संघर्ष से जुड़ा है. रही बात पूर्व मुख्यमंत्री की कि वे पार्टी छोड़ेंगे या अपनी नई पार्टी बनाएंगे यह उनके विवेकाधिकार पर निर्भर करता है, मगर उन्होंने कहीं से भी ऐसा बयान या पोस्ट जारी नहीं किया है जिससे यह कहा जाए कि वह पार्टी को तोड़ने में लगे थे. उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर साफ तौर पर लिखा है कि जिस पार्टी को सींचा है वहां मान सम्मान नहीं मिला. न तो उन्होंने किसी विधायक, मंत्री या पार्टी के अन्य नेता को पार्टी छोड़ने या पार्टी छोड़कर उन्हें समर्थन करने जैसा कोई बयान दिया है. अपने घर में यदि आग लगी हो तो दूसरों के घर में झांकना नहीं चाहिए. यह झारखंड मुक्ति मोर्चा अंदरूनी मामला है. इसपर किसी को भी अनर्गल बयानबाजी करने का कोई अधिकार नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री ने मीडिया में साफ तौर पर कहा है कि दिल्ली अपने निजी काम से आए हैं. इस पर यदि मीडिया में भ्रम फैलाया जा रहा है तो यह मीडिया का दोष है, पूर्व मुख्यमंत्री का नहीं. रही बात फेसबुक पेज के पोस्ट पर तो उसमें कहीं से भी यह साबित नहीं होता है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने पार्टी छोड़ी है या पार्टी को नुकसान पहुंचाया है.