खरसावां: पुरातन परंपराओं के बीच महाप्रभु जगन्नाथ संग बहन सुभद्रा व भाई बलराम की सवारी 18 लाख की लागत से बने नए रथ पर खरसावां के जगन्नाथ मंदिर से मौसीबाडी स्थित गुंडिचा मंदिर के लिए रवाना हुई. प्रभु जगन्नाथ की सारथी की भुमिका खूंटी लोकसभा के सांसद कालीचरण मुंडा, खरसावां विधायक दशरथ गागराई, झारखंड सरकार विधि विभाग के प्रधान सचिव नलिन कुमार, झारखंड सरकार विधि विभाग के संयुक्त सचिव अविनाश दुबे, सरायकेला पीडीजे रामाशंकर सिंह, सरायकेला डालसा सचिव तौसीफ मेराज और मीरा मुंडा ने निभाई.
जय जगन्नाथ के उदघोष एवं छैरा पैरा परंपराओं के तहत प्रभु जगन्नाथ बहन सुभद्रा व बडे भाई बलराम की प्रतिमा को पूजनोपरांत रथ की परिक्रमा कर एक- एक कर रथ पर विराजमान किया गया. सैकडों श्रद्वालुओं ने प्रभु जगन्नाथ के जयघोष के साथ रथ खिंचाई शुरू की. जैसे- जैसे रथ बढ़ता रहा, लगा महाप्रभु जी सबको अपने साथ लिए बढ़ रहे है. करीब एक किमी के यात्रा में मार्ग पर सिर्फ भक्त और भगवान दिखे.
प्रभु जगन्नाथ की यात्रा विभिन्न अनुष्ठानों के साथ देर शाम तक मौसीबाडी तक सफर किया. रथ को खींचने के लिए श्रद्वालुओं में होड मची थी. जैसे ही रथ मंदिर परिसर से निकलकर गोपबंधु चौक पहुचां, देखते ही देखते भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा. रथयात्रा के दौरान युवाओं का उत्साह चरम पर था. ऊंचे रथ से प्रसाद व लडडुओं को फेंकने की परंपरा का निर्वाह हुआ. भक्त रथ खींचने के साथ प्रसाद लेने के लिए होड करते रहे. मौसीबाडी में प्रभु जगन्नाथ के पहुंचने पर विशेष पूजा- अर्चना की गई. रथयात्रा के दौरान खरसावां जगन्नाथमय बना रहा. चारों और महाप्रभु की जय जय कार होती रही.
नौ रूपों में होगे प्रभु के दर्शन
महाप्रभु जगन्नाथ अपने बडे भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर मौसीबाडी पहुचें. वहां नौ दिनों तक विश्राम करेगे. इसी बीच मौसीबाडी में 9 दिनों तक उनके अलग- अलग रूपों का श्रृंगार किया जाएगा. भक्तगण उनके अलग- अलग रूपों का पूजन और दर्शन करेगें. नौ दिनों के बाद पुनःघूरती रथ पर सवार होकर प्रभु जगन्नाथ गुंडिचा मंदिर वापस जाएगें.
हरिभंजा में भी निकला प्रभु का रथ
खरसावां के हरिभंजा गांव में भी बड़े धूमधाम से प्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई. पुरी के तर्ज पर पूजा- परंपरा का निर्वहन खरसावां के पूर्व प्रमुख विद्या विनोद सिंहदेव के परिवार द्वारा किया गया. इस रथयात्रा में पुरी की झलक देखकर लोग भक्तिमय हो गये. महाप्रभु जगन्नाथ, बहन सुभद्रा व भाई बलभद्र की सवारी देखने के लिए भक्तो की भीड उमड़ पड़ी.
सरकारी खर्च पर हुई रथयात्रा
बता दें कि खरसावां की रथयात्रा का खर्च सरकार उठाती है. खरसावां अंचल कार्यालय द्वारा प्रभु जगन्नाथ के रथयात्रा एवं पूजा- अर्चना में 70 हजार रूपये खर्च किए जा रहे है. इसके अलावे प्रभु जगन्नाथ के लिए 18 लाख की लागत से नए रथ का निर्माण कराया गया है. मंदिर में सुबह से ही विशेष पूजा- अर्चना होती रही. मंत्रोच्चारण, शंख और घंटी की ध्वनि से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया. भगवान के दर्शन और अराधना के लिए श्रद्वालुओं की हुजूम उमड पड़ी.
प्रसाद को लेकर हुई मशक्कत
रथयात्रा के दौरान रथ पर चढे पुरोहित हर भक्तो के बीच प्रसाद वितरित करते रहे. इस दौरान प्रसाद पाने के लिए लोगो को अच्छी चासी मशक्कत करनी पडी. रथयात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जगह- जगह पुलिस के जवान तैनात रहे.
यहां निकाली गई रथयात्रा
प्रभु जगन्नाथ अपने बडे भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ रविवार को खरसावां के हरिभंजा, बंदोलोहर, दलाईकेला, जोजोकुडमा, सीनी, छोटाचांकडी, पोडाकांटा, पोटोबेडा, संतारी आदि गांवों में प्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई.
प्रभु जगन्नाथ की कृपा अपरंपार- कालीचरण मुंडा
खूंटी लोकसभा क्षेत्र के सांसद कालीचरण मुंडा ने कहा कि प्रभु जगन्नाथ की कृपा अपरंपार है. प्रभु के प्रति आस्था व विश्वास हमारी ताकत है. भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना करते है कि क्षेत्र पर अपनी कृपा बनाये रखे. वही खरसावां विधायक दशरथ गागराई ने कहा कि जीवन के हर मोड पर जीवन के हर क्षण में एक नये त्यौहार की सृष्टि करता है. भारतीय सांस्कृतिक वांगमय जीवन को उत्साह, सुख एवं हर्षोल्लास के साथ जीने की सीख देता है. पूजा अर्चना जनमानस को भी क्रियाशील, ऊर्जावान और जीवंत बनाती है.