सरायकेला: जिले के गम्हरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोख बदली गिरोह के खुलासे के बाद एक ओर जहां आम जनमानस में खुशी है वहीं एक निजी वेबसाइट झारखंडवाणी ने बच्चा चोर गिरोह को क्लीन चिट देकर न केवल पत्रकारिता को कलंकित किया है बल्कि जांच को भी प्रभावित करने का काम किया है. वेबसाइट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नवजात को उसकी मां यानी पूर्णिमा तांती की रजामंदी से सुदीप्ता दत्ता को सौंपा गया है. मतलब वेबसाइट के लिए सरकारी नियमों की कोई अहमियत नहीं. इससे साफ जाहिर होता है कि वेबसाइट और उसमें लिखनेवाले पत्रकार की मंशा क्या है और उनके ज्ञान की किस स्तर पर व्यख्या की जाए.
आगे वेबसाइट में लिखा गया है कि इंडिया न्यूज वायरल के पत्रकार के साथ कुछ अन्य स्थानीय पत्रकरों ने गिरोह से ढाई लाख की रंगदारी मांगी थी. उसकी रिकॉर्डिंग उनको उपलब्ध कराए गए हैं. इसे उक्त वेबसाइट की अज्ञानता कहें या दोमय दर्जे की पत्रकारिता समझ से परे है. उन्हें कम से कम पड़ताल करनी चाहिए कि वास्तव में उक्त प्रकरण में हुआ क्या है ? आरोपी पत्रकारों या उनके संस्थान का पक्ष भी जानना चाहिए. मगर टीआरपी और व्यक्ति विशेष को खुश करने और जांच की दिशा को भटकाने के उद्देश्य से गिरोह के इशारे पर वेबसाइट ने एकतरफा खबर प्रकाशित कर पूरे पत्रकारिता को ही शर्मसार कर दिया है. साथ ही यह साबित कर दिया कि उनके लिए पत्रकारिता के कोई मानक नहीं रह गए हैं.
जबकि इंडिया न्यूज वायरल ने ही सबसे पहले 7 जून को देर रात करीब 9:49 में इस प्रकरण का खुलासा किया. उसके बाद अगले दिन यह खबर सभी प्रमुख अखबारों, न्यूज़ चैनलों और वेबसाइटों पर सुर्खियां बनी. जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया. खबर प्रकाशित होते ही सदर एसडीओ सुनिल कुमार प्रजापति के निर्देश पर आदित्यपुर पुलिस ने नाटकीय ढंग से नवजात को बरामद कर लिया. अभी मामले की तफ्तीश चल ही रही है कि उक्त वेबसाइट की एक रिपोर्ट ने न केवल जांच प्रभावित कर दिया बल्कि पूरे पत्रकारिता को कलंकित कर दिया.
आपको बता दें कि इंडिया न्यूज वायरल ने एक ऐसे मामले का खुलासा किया जिसमें जिला परिषद पिंकी मंडल, जेएसएलपीएस कर्मी सुनीता प्रामाणिक, सहिया जयंती सेन और स्वास्थ्य विभाग ने तमाम सरकारी नियमों को तक पर रखकर न केवल नवजात के कोख का सौदा किया बल्कि फर्जी तरीके से सरकारी रजिस्टर में जन्म देनेवाली मां पूर्णिमा तांती के नाम को बदलवाकर गोद लेनेवाली मां सुदीप्ता दत्ता का नाम दर्ज करा दिया. मजे की बात ये है कि घटना के दस दिनों बाद भी इस मामले पर सभी चुप रहे. जबकि घटना बीते 28 मई की थी.
वैसे इस खेल के खिलाड़ियों को ढूंढना इतना आसान नहीं था, क्योंकि अस्पताल के रजिस्टर में सुदीप्ता दत्ता ने अपना पता भी गलत लिखा था. जन्म देनेवाली मां का कोई पता- ठिकाना नहीं था. 7 जून को दिन के करीब 11 बजे के आसपास हमारी पड़ताल शुरू होती है. परत- दर- परत इसकी तफ्तीश के दौरान हमारी टीम ने सबसे पहले सहिया का पता लगाया. अस्पताल से पता चला कि सहिया जयंती सेन कांड्रा की है. इसमें हमने अपने कांड्रा प्रतिनिधि विपिन कुमार वार्ष्णेय की मदद ली. उन्होंने सहिया को ढूंढने में हमारी मदद की. सहिया ने पूछताछ के क्रम में स्वीकार किया कि उसे जेएसएलपीएस कर्मी सुनीता प्रमाणिक उर्फ सोमा ने ऐसा करने कहा था. सोमा कांड्रा में एक सिलाई सेंटर और ब्यूटी पार्लर चलाती है. जब हमारी टीम दिन के करीब 12:30 बजे सोमा के पास पहुंची तो पहले तो सोमा ने इस पूरे मामले से खुद को अनभिज्ञ बताया. जब सहिया के साथ उसे आमने- सामने कराया तब वह टूट गयी और उसने मामले को रफा- दफा करने का प्रस्ताव दिया. मगर उसने यह नहीं बताया कि सुदीप्ता कौन है, और इसमें किसकी- किसकी संलिप्तता है. तब हमारी टीम ने दलाल बनकर सोमा से सौदा करने का निर्णय लिया. सोमा को जब लगा कि हम बिक जाएंगे तब धीरे- धीरे वह सौदेबाजी पर उतर गई. हमारी टीम ने सोमा को विश्वास में लेकर सुदीप्ता का नंबर लिया. उसके बाद सोमा से हमने पूर्णिमा तांती का पता पूछा उसने बताया कि पूर्णिमा हरिश्चन्द्र घाट कांड्रा में रहती है. उसने अपनी मर्जी से बच्चे को सुदीप्ता को दिया है. जिला परिषद पिंकी मंडल ने इसकी सहमति दी है. सुनीता ने बताया कि पिंकी मंडल ने बच्चे को गोद लेने के लिए सुदीप्ता के आवेदन पर हस्ताक्षर किए हैं मैने इसका वीडियो भी बनाया है. उसने वीडियो क्लिप हमे मुहैया कराया. जिसमें पिंकी मंडल, सुदीप्ता, सुदीप्ता के पति, जयंती सेन आदि मौजूद हैं. इतना ही नहीं सुनीता ने ही हमें पिंकी मंडल को सुदीप्ता द्वारा दिया गया आवेदन भी दिया. दिन के करीब एक बजे हमारी टीम नवजात की मां यानी पूर्णिमा तांती के पास पहुंचती है. पूर्णिमा ने हमें बताया कि उसके चार बच्चे हैं. पांचवां बच्चा वह नहीं रखना चाहती थी. सुनीता प्रमाणिक ने उसे एबॉर्शन करने से मना किया था. उसके कहने पर मै अपनी फूल दीदी (दूर की रिश्तेदार) को अपना बच्चा देने पर राजी हुई. जब पूर्णिमा से पूछा गया कि अस्पताल में नाम क्यों बदला तो उसने कहा इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है. मैं पढ़ी-लिखी नहीं हूं इसलिए इसपर मैं ज्यादा कुछ नहीं बोल सकती. उसके बाद सुदीप्ता को ढूंढना हमारे लिए बड़ी चुनौती थी. इस दौरान सुनीता ने सुदीप्ता को आश्वस्त कर दिया था कि रिपोर्टर लोग पैसे पर बिकने को तैयार हैं. उसके बाद सुनीता ने हमें फोन कर दुबारा अपने सिलाई सेंटर पर बुलाया. वहां से उसने किसी अनिल यादव से फोन पर बात किया. फिर अनिल ने कॉन्फ्रेंस पर सुनीता को सुदीप्ता से बात कराया. तीनों के बीच क्या बात हुई इसकी हमें जानकारी नहीं है. फिर सीधे सुदीप्ता ने हमसे संपर्क किया और पैसों का प्रस्ताव रखा. हमारी पड़ताल पूरी हो चुकी थी. हमारा मकसद सुदीप्ता को ढूंढना औ उसका मोबाइल ट्रैक करना था. उसे बातों में उलझाकर उसका लाइव लोकेशन ट्रैक किया. इस दौरान जरूरी था कि उसे बातों में उलझाया जाए. करीब 3 बजे तक सुदीप्ता से फ़ोन पर हमारी टीम ने दलाल बनकर सौदेबाजी की. जब सुदीप्ता को भरोसा हो गया कि हम बिक जाएंगे तब ढाई लाख में सौदा तय कर अगले दिन यानी 8 जून को दिन के 11:00 बजे बांकुड़ा से पैसे लेकर आने का भरोसा दिलाया.
हमारी पड़ताल पूरी हो चुकी थी. 7 जून को रात 9:49 बजे इंडिया न्यूज वायरल ने अपनी रिपोर्ट प्रकाशित कर दी. हमपर तोहमत लगाने वाले तथाकथित वेबसाइट झारखंडवाणी और उसके पत्रकार को साबित करना होगा कि हमने पैसे लिए या पैसों के लिए हमने या हमारे रिपोर्टर ने किसी पर दबाव बनाया. जब सौदा तय हो गया था, तब हम रिपोर्ट क्यों बनाते ? यदि पैसों के लिए हमने इस पूरे खेल का खुलासा किया होता तो हम अगले दिन तक इंतजार भी कर सकते थे. आपको जानकर हैरानी होगी कि खुलासे के बाद से एक के बाद एक हमने इस पूरे प्रकरण के तीन न्यूज़ बनाए. फिर हमारे ऊपर लांछन लगाने और हमारी पत्रकारिता पर उंगली उठाने का उद्देश्य क्या है ? इससे साफ जाहिर होता है कि कोख के सौदेबाजी के खेल में उक्त तथाकथित वेबसाइट झारखंडवाणी की भी संलिप्तता है. उसके स्थानीय रिपोर्टर जिसके खिलाफ कांड्रा थाने में दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं वह हमें अपराधी और बालू, स्क्रैप और अवैध धंधों में संलिप्त होने का प्रमाण पत्र देगा. निर्णय हम अपने पाठकों पर छोड़ते है. आप तय करें कि इस खुलासे में हमारी क्या भूमिका है. ऐसे पत्रकारों की वजह से खोजी पत्रकारिता करनेवाले रिपोर्टरों का मनोबल टूटता है. इसपर हम इतना ही कह सकते हैं कि “हमें तो अपनो ने लूटा गैरों में कहां दम था…
वैसे इस पूरे प्रकरण के खुलासे के बाद अब सबकी नजरें स्वास्थ्य विभाग, पुलिस- प्रशासन और सीडब्ल्यूसी की कार्रवाई पर टिक गई है. हालांकि भाजपा नेता और सरायकेला नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी ने इसे एक जघन्य अपराध बताया है साथ ही उपायुक्त से पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है.