चांडिल/ Sumangal Kundu (Kebu) : नीमडीह प्रखंड अंतर्गत गौरडीह गांव में आदिवासी हादी बोंगा सरहुल महोत्सव सह मिलन समारोह 2024 अयोजित की गई. इस दौरान लाया भोलानाथ सिंह लाया, भूदेव सिंह लाया एवं जवाहर लाल सिंह लाया द्वारा सरहुल थान पर शाल डाली व फूल से प्रकृति देव का पूजा अर्चना किया गया. मुख्य अतिथि नीमडीह मुखिया संघ के प्रखंड अध्यक्ष वरूण कुमार सिंह ने प्रकृति प्रेमियों को संबोधित करते हुए कहा कि ग्रीष्म ऋतु में जब पेड़ों पर नए पत्ते और फल-फूल आते हैं, तब इस सुखद प्राकृतिक बदलाव का आदिवासी समाज के लोग बाहा पर्व के रूप में नाचते-गाते स्वागत करते हैं.
जाहेरथान में परंपरा के अनुसार प्रकृति की आराधना की गई, लाया यानि पुजारी देवताओं की साल व महुआ के फूल से पूजा किए. इस दौरान ग्राम देवता, जंगल, पहाड़ और प्रकृति की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि और गांव के निरोग रखने की मन्नत किए. इस अवसर पर रंग-बिरंगे फूलों से प्रकृति करती है शृंगार. बाहा पर चारों ओर उमंग और उल्लास रहता है। कहते हैं बाहा खुशियों का पैगाम लेकर आता है. ऐसे समय में घर फसल से भरा रहता है, पेड़-पौधों में फल-फूल रहता है.
आयोजक मंडली के सदस्य मदन सिंह सरदार ने कहा कि प्रकृति यौवन पर होती है, रंग-बिरंगे फूलों और पेड़ों में नए पत्तों से प्रकृति अपना शृंगार करती है,ऐसा माना जाता है कि प्रकृति किसी को भी भूखे नहीं रहने देगी, शायद इसीलिए बाहा (सरहुल) पर्व धरती माता को समर्पित महत्वपूर्ण पर्व है, बाहा पर्व के आदिवासी समाज नई फसल का उपयोग करते हैं। इसके साथ ही पेड़ों में लगे फल-फूल और पत्तों का भी उपयोग शुरू किया जाता है, इस पर्व को संताल, मुंडा, उरांव, हो, खड़िया समेत विभिन्न आदिवासी समुदाय के लोग हर्षोल्लास के साथ मनाते है.
खासकर जनजातीय समाज के युवक- युवतियो ने बढ-चढ़कर भाग लेकर अपनी आपसी एकता और अंखडता प्रकृति-प्रेम को प्रदर्शित किया इस सांस्कृतिक समारोह मे लोगो ने कार्यक्रम के माध्यम से एक दुसरे के साथ गहरा आपसी भाईचारा घनिष्ठता प्रेम- सौहार्द और अखंडता को पोत्साहन किया साथ ही इस समाजिक सामूहिक रुप से बाहा पूजा कर प्रकृति उपासना की जिसे प्रकृति के महत्व को समझाया गया. इस समारोह में प्रकृति की रक्षा करने के संकल्प को भी मजबूत किया गया, जिससे आदिवासी समाज अपने जीवन का आधार मानते है साथ मे सांस्कृतिक धरोहर को उजागर किया.
प्राकृतिक संसाधनो के प्रति जागरूकता और संवेदनशील ता को बढ़ावा दिया, जिससे की सांस्कृतिक और प्राकृति धरोहर के सम्मान मे वृद्धि हो, कार्यक्रम मे हर वर्ष की भांति इस वर्ष हजारो-हजार तादात मे उमड़ पड़ा जनसैलाब, इस दौरान आदिवासी कला और सांस्कृतिक देखने को मिला. सभी लोग पारंपरिक परिधान से सजे- संवरे थे, इस बीच पारंपरिक नृत्य और संगीत से जाहेरस्थान मे ढोल, मांदल आदि की थाप से गूंजता रहा और सामूहिक नृत्य हुआ. आंनद लिए सभी लोगो ने एक स्वर मे कहा प्रकृति की रक्षा को अंग्रिम पंक्ति मे खड़ा है आदिवासी समाज.
इस अवसर पर अतिथि के रूप में नीमडीह मुखिया संघ के अध्यक्ष वरुण कुमार सिंह, अदारडीह के मुखिया सुभाष सिंह, गौरडीह के पूर्व मुखिया सुनील सिंह, समाजसेवी जयराम सिंह सरदार, समाजसेवी नयन सिंह भुमिज, उदय कृष्ण सिंह आदि उपस्थित थे. आयोजक मंडली मदन सिंह सरदार, अजब सिंह सरदार, बहादुर सिंह सरदार, चित्तरंजन सिंह सरदार, लक्ष्मण सिंह सरदार, अंबुज सिंह सरदार, टुटुल सिंह सरदार, दशरथ सिंह सरदार, अश्विनी सिंह सरदार, फुलचांद सिंह सरदार, परमानंद सिंह सरदार, सत्यनारायण सिंह सरदार, मोतिलाल सिंह सरदार, बासुदेव सिंह सरदार, कृष्णा सिंह सरदार आदि ने महोत्सव को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई.