सरायकेला/ Pramod Singh आगामी चैत्र पर्व- 2024 में राजनीतिक हस्तक्षेप द्वारा व्यक्ति विशेष के साथ मिलकर प्रशासन द्वारा की जा रही अनियमितता पर रोक लगाने हेतु सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारी विरोध जताया. प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए संरक्षक मनोज कुमार चौधरी ने इस संबंध कहा कि विरासत में मिला वैश्विक पारंपारिक कला सरायकेला छऊ नृत्य, सरायकेला की संस्कृति है, यह केवल नेताओ पदाधिकारीयों के मनोरंजन का साधन नहीं है. प्रशासन पहले यह सार्वजनिक करें कि यह पर्व आखिर किसका है और प्रशासन किसकी मजबूरी में इस वैश्विक कला को नजरअंदाज कर रही है.
उन्होंने प्रशासन से पूछा कि मैं 2009 से राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र का सदस्य हूं लेकिन किसके दबाव में मुझे और अन्य सदस्यों को नजरअंदाज किया जा रहा है. आगामी चैत्र पर्व 2024 में राजनीतिक व्यक्ति विशेष के दबाव के चलते सरायकेला के बाहर से नृत्य ग्रुप को उक्त मंच में प्रर्दशन हेतु लाखों रुपये खर्च किये जा रहे है, जबकि प्रशासन ने आचार सहिता बताकर ग्रामीण छऊ कंपीटिशन को बंद करवा दिया जिससे ग्रामीण कलाकारों में काफी रोष है. ऐसे निर्णयों से हमारे वैश्विक नृत्य को समाप्त करने की साजिश की बू आ रही है. आचार संहिता में घोर अनियमितता के साथ बाहर से कलाकारों को बुलाने के लिए लाखों रुपये खर्च कर किये जा रहे है जो पूरी तरह से आचार संहिता का उल्लंघन है, यह जांच का विषय है. राजनीतिक दबाव में प्रशासन ने स्वार्थी तत्व के साथ मिलकर ग्रामीण छऊ कंपीटिशन बंद करवा दिया जिससे ग्रामीण छऊ को काफी क्षति पहुंची है. इस प्रकार के निर्णय से वैश्विक नृत्य समाप्त होने के कगार पर है.
आर्टिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष शशांक शेखर महंती ने कहा कि चैत्र पर्व में कलाकारों का जमावड़ा होना चाहिए परन्तु सत्ता पक्ष के राजनितिक लोग ज्यादा सक्रिय है, (ज्ञात रहे कि आचार संहिता लागु है), चैत्र पर्व सम्बन्धित बैठक एवं पूजा पाठ में भी देखने को मिला है जो इससे पहले कभी देखने को नहीं मिला. सत्ता पक्ष के राजनीतिक दबाव के चलते आगामी चैत्र पर्व- 2024 में पैसो का बंदरबांट करने के उद्देश्य से रंजीत आचार्य को संयोजक बनाया गया है जो पूरी तरह असवैधानिक है. रंजीत आचार्य न तो कोई छऊ कलाकार ना ही कोई जानकार और न ही किसी मंच पर कला प्रर्दशन करने योग्य है. मेरा चैलेंज है वह आकर हमारे कलाकारों के साथ अपना अनुभव योग्यता सिद्ध करें. संगठन का छोटा कलाकार भी उसके ऊपर भारी पड़ेगा. इससे साफ पता चलता है कि प्रशासन राजनीतिक दबाव के चलते रंजीत आचार्य को आगामी चैत्र पर्व 2024 के सारे कार्यों का निष्पादन करा रही है जो जांच का विषय है.
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त छऊ के वरीय कलाकार काशीनाथ कर ने कहा कि जिन लोगो के साथ मिलकर प्रशासन चैत्र पर्व करवाना चाह रही है उन लोगो द्वारा ही अक्टूबर 2023 में राजकीय छऊ नृत्य कला केन्द्र, सरायकेला में हुए कलाकारों के अर्न्तविक्षा के दौरान भारी अनियमितता बरता गया था, जिसके कारण कलाकारों का चयन प्रक्रिया बाधित हुआ. प्रशासन जान बूझकर ऐसे लोगों के साथ मिलकर कैसे सरायकेला के संस्कृति सरायकेला छऊ तथा चैत्र पर्व के साथ खिलवाड़ कर सकती है.
एसोसिएशन के सचिव सुदीप कवि ने कहा कि राजनीतिक दबाव के चलते प्रशासन ने सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन को चैत्र पर्व 2024 में प्रर्दशन के लिए कोई न्यौता नहीं दिया, जबकि पूर्व से ही एसोसिएशन ने प्रशासन के साथ मिलकर चैत्र पर्व करने हेतु प्रस्ताव दिया था. ज्ञात रहे कि विगत कुछ सालो से सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन खुद अपना चोईतो पोरोब का आयोजन कर रही रही है तो प्रशासन को इस बात पर विचार करना चाहिए था. राजनितिक दबाव व कुछ व्यक्ति विशेष के दबाव में जल्दबाजी में निर्णय लेना भारी अनियमितता की और इशारा कर रही है जो जांच का विषय है.
छऊ गुरु व प्रदीप मेमोरियल ट्रस्ट के निर्देशक आशीष कर ने कहा सरायकेला में आगामी चैत्र पर्व- 2024 में लगातार राजनीतिक हस्तक्षेप एवं व्यक्ति विशेष के साथ मिलकर प्रशासन द्वारा अनियमितता बरती जा रही है. राजकीय छऊ नृत्य कला केन्द्र, सरायकेला में आयोजित होने वाले आगामी चैत्र पर्व 2024 के लिए संबन्धित पूर्व सदस्यो, छऊ कलाकारों, तथा सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन के सदस्यों के बिना पारदर्शिता के पूरी तरह से खत्म करते हुए मनमानी तरीके से कुछ भ्रष्ट एवं राजनितिक लोगो के साथ मिलकर प्रशासन अनियमितता बरत रही है, जिससे सरायकेला छऊ कलाकारों के साथ अन्याय हो रहा है.
छऊ नृत्य के जानकार सुशील आचार्य द्वारा कहा गया कि चैत्र पर्व में ग्रामीण छऊ के साथ काफी अन्याय किया गया. आचार संहिता का हवाला देते हुए कंपीटिशन बंद करवा दिये परन्तु किस आधार पर लाखों रुपए खर्च करके आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए बाहर से कलाकारों को बुलाया जा रहा है. जिसमें भ्रष्टाचार की बू आ रही है. उन्होंने घोटाले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की. प्रेस वार्ता में मुख्य रूप से निदेशक राजेंद्र अखाड़ा के निर्देशक नीरज पटनायक रूपेश साहू अविनाश कवि राजेश गोप मौजूद थे.