औरंगाबाद/ Dinanath Mouar : जी हां, हम बात कर रहे हैं बिहार के अति नक्सल प्रभावित जिला औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र की. पहले की तस्वीर और आज की तस्वीरों में साफ अंतर नजर आता है. पहले जहां अफीम की खेती होती थी, वहां आज सरसों के पीले फूल लहलहा रहें हैं. जहां स्कूल की इमारतें ध्वस्त थी अब स्कूल भवन सीना तानकर खड़े हैं.बच्चे पढ़ रहें हैं. जंगलों तक सुगम आवागम के लिए सड़क है. ग्रामीण अब अपने क्षेत्र में विकास चाह रहे है.
दरअसल, ये तस्वीरें औरंगाबाद के बेहद नक्सलग्रस्त देव के इलाके की है, जो विश्वप्रसिद्ध त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर के लिए विख्यात है. इस इलाके में विकास की किरण पहुंचने के बाबजूद लोगों में अच्छी खासी नाराजगी है. नाराजगी सरकार से नही बल्कि सरकार के नुमाइंदे से है. नाराजगी और आक्रोश इतना की जनता कह रही है की उन्हें एक बार फिर मोदी सरकार तो चाहिए, लेकिन अभी वाला नुमाइंदा नही चाहिए. मोदी मजबूरी है लेकिन नुमाइंदगी करने वाले उम्मीदवार को बदलो, नही तो वोट नही देंगे. जनता के पास नुमाइंदा बनने लायक उम्मीदवारों के नाम भी हैं.