DESK झारखंड में राज्यसभा के दो सीटों के लिए तारीखों का ऐलान होते ही सियासी सरगर्मी तेज होने लगी है. एनडीए और इंडिया खेमे में लामबंदी तेज होने लगी है. हालांकि संख्याबल के आधार पर दोनों ही खेमे से एक- एक प्रत्याशी आसानी से राज्यसभा भेजे जा सकते हैं. आपको बता दें कि वर्तमान राज्यसभा सांसद समीर उरांव और धीरज साहू का कार्यकाल इसी साल 3 मई को समाप्त होने वाला है. इससे पूर्व चुनाव की प्रक्रिया संपन्न होनी है. आयोग ने अधिसूचना जारी कर दी है. 21 मार्च को इसके लिए वोट डाले जाएंगे.
समीर उरांव की जगह बीजेपी किसी ओबीसी चेहरे पर दांव लगा सकती है, क्योंकि भाजपा के पास ओबीसी वोटरों को रिझाने के लिए कोई बड़ा ओबीसी चेहरा नहीं है. ऐसे में पार्टी किसी ओबीसी को राज्यसभा भेज सकती है, चूंकि समीर उरांव एसटी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं इस वजह से पार्टी उनके स्थान पर नए विकल्प की तलाश कर सकती है.
वैसे “इंडिया” खेमे में इसको लेकर शंशय की स्थिति रहेगी. धीरज साहू कांग्रेस कोटे से राज्यसभा सांसद हैं. उनके ठिकानों पर आयकर छापे और ईडी की कार्रवाई की वजह से पार्टी किसी अन्य विकल्प की तलाश कर सकती है. वहीं झामुमो इस बार अपना उम्मीदवार देने के लिए दावेदारी कर सकती है. इसके लिए सबसे आगे गांडेय से विधायक रहे सरफराज अहमद का नाम सामने आ रहा है, मगर और भी कई चेहरे पार्टी में हैं जिसपर पार्टी थिंक टैंक विचार- विमर्श कर सकती है. आपको बता दें कि विगत कुछ समय से झारखंड में जैसे राजनीतिक हालात बने हैं, राज्य सभा या लोक सभा में ऐसे लोगों को भेजने की आवश्यकता है जो बेदाग छवि के हों, कुशल वक्ता और निडर हों ताकि जोरदार, प्रभावशाली एवं धमाकेदार तरीके से सदन के पटल पर बेखौफ होकर झारखंड की आवाज को रख सकें. एक ऐसा ही नाम नेवी से सेवानिवृत्त हुए कैप्टन राजेश कुमार का उभरकर सामने आया है. कुछ दिनों पहले एक सभा में उनके वक्तव्य को सुनने का मौका मिला और पाया कि अंग्रेजी, हिंदी एवं अन्य कई क्षेत्रीय भाषाओं को बोलने में उन्हें महारत हासिल है. वे दिशोम गुरु शिबू सोरेन से खासे प्रभावित हैं और उनके साथ उनकी करीबी भी हैं. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और वर्तमान मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन से भी उनकी नजदीकी सम्बंध हैं. सत्ताधारी दल के कई विधायकों से भी उनके अच्छे रिश्ते हैं. कोई भी पार्टी अगर ऐसे व्यक्ति को सदन में भेजे तो उस पार्टी और राज्य का वे अच्छी तरह से प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. झारखंड से अभी बहुत ही जोरदार, असरदार और प्रभावशाली व्यक्तित्व और आवाज वाले व्यक्ति को राज्य सभा सांसद के रूप में भेजने की जरूरत है. बीमारी और बुढ़ापा के कारण गुरुजी अब बोल नहीं पाते, महुआ मांझी महिला सांसद है, इसलिए 61 वर्षीय कैप्टन राजेश राज्य सभा के लिए एक बेहतरीन उम्मीदवार हो सकते हैं. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या झामुमो कैप्टन राजेश के रूप में बेबाक राय रखने वाले व्यक्ति पर दांव लगाकर सदन भेजेगी या धनबल हावी रहेगा. हालांकि कैप्टन राजेश ने इस सवाल पर कहा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी यदि पार्टी उन्हें उम्मीदवार बनाती है तो, मैं गुरुजी और हेमंत बाबू के राजनीतिक संघर्षों का गवाह हूं. झारखंड निर्माण में उनकी भागीदारी को विपक्ष ने गलत तरीके से परिभाषित करके उन्हें बदनाम करने का साजिश रचा है जिसे किसी कीमत पर सफल होने नहीं देना है इसके लिए राज्यसभा में दमदार आवाज उठाने वाला चाहिए. पार्टी को ऐसे व्यक्ति को चुनकर सदन में भेजना चाहिए जिसकी छवि बेदाग हो और वह बेबाकी से सदन के पटल पर झारखंडी आवाज को बुलंद कर सके.