गम्हरिया: अंचल के आनंदपुर मौजा में करीब 7 एकड़ में निर्माणाधीन आस्था- वॉटरमार्क डेवलपर्स को सरायकेला एसडीओ ने तीसरा समन जारी करते हुए आगामी चार मार्च को पूरी रिपोर्ट के साथ तलब किया है. इससे पूर्व एसडीओ ने मिले शिकायत पर सीओ से जांच कर रिपोर्ट मांगे थे. सीओ ने अपनी रिपोर्ट में डेवलपर्स द्वारा करीब 1.92.81 एकड़ जमीन प्रोजेक्ट के अंदर करने की पुष्टि की है. जिसे एसडीओ को सौंप दिया है. सूत्रों की माने तो एसडीओ के आदेश पर अंचल अधिकारी ने जो रिपोर्ट सौंपे हैं उसमें बिल्डरों ने अनाबाद बिहार सरकार और सर्वसाधारण जमीन की घेराबंदी की है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि बिल्डर द्वारा प्रोजेक्ट के गेट में खाता संख्या 104, प्लॉट संख्या 29/ पी में 0.44 डिसमिल और प्लॉट संख्या 64/ पी में 1.37 डिसमिल कुल 1.81 डेसिमल जमीन पर अवैध कब्ज़ा किया गया है. वहीं प्रोजेक्ट के चाहर दीवारी के अंदर खाता संख्या 104, प्लॉट संख्या 64/ पी में 10 डिसमिल, 63/ पी में 58 डिसमिल, खाता संख्या 103 के प्लॉट संख्या 43/ पी में 1.18 एकड़ और खाता संख्या 44/ 674 में 0.02 एकड़ कुल 1.88 एकड़ जमीन जो अनाबाद बिहार सरकार की जमीन है पर कब्ज़ा किया गया है. इसी तरह सरकारी रास्ता के खाता संख्या 104 के प्लाट संख्या 27 पी में 2.00 डेसिमल और 28 पी में 1.00 डेसिमल कुल 3 डिसमिल जमीन पर अवैध कब्ज़ा किए जाने का खुलासा हुआ है.
इधर डेवलपर्स ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि उनके जमीन के अंदर सरकारी जमीन है. इसमें उनका क्या दोष है. उनके द्वारा कहा गया कि नगर निगम द्वारा प्रोजेक्ट का नक्शा क्लियरेंस दिया गया है इसमें उनका कोई दोष नहीं है. उन्होंने किसी सरकारी जमीन पर कब्जा नहीं किया है. इधर नगर आयुक्त आलोक कुमार ने बताया कि नक्शा बगैर अंचल कार्यालय के रिपोर्ट के पास नहीं किया जाता है. फिर भी यदि ऐसा हुआ है तो इसकी जांच की जाएगी. यदि गलत पाया गया तो उसे निरस्त किया जाएगा. वहीं इस मामले में एसडीओ पारुल सिंह ने बताया कि न ही एसडीओ कार्यालय से डेवलपर्स को एनओसी दिया गया है न ही किसी तरह का कोई आदेश दिया गया है. उन्हें पूर्व में दो- दो समन देकर रिपोर्ट के साथ बुलाया गया है मगर उनका कोई प्रतिनिधि नहीं आया है, जबकि अंचल कार्यालय ने अपनी रिपोर्ट में सरकारी जमीन कब्जा करने की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि फिलहाल उन्हें तीसरा नोटिस भेजा गया है जिसमें चार मार्च तक पुनः रिपोर्ट के साथ तलब किया गया है यदि फिर भी वे नहीं आते हैं तो इसे अवहेलना समझा जाएगा उसके बाद इसकी रिपोर्ट आगे की जाएगी. बता दें कि बुधवार को कई वेबसाइट और अखबारों ने डेवलपर्स को क्लीन चिट मिलने का दावा किया है. साथ ही प्रोजेक्ट के तारीफ में जमकर कसीदे गढ़े हैं. जो साफ दर्शाता है कि डेवलपर्स के इशारे पर रिपोर्ट बनाई गई है. जबकि पूरा मामला तालाब के अस्तित्व और सरकारी जमीन को कब्जा करने से जुड़ा है. बता दें कि उक्त भूखंड में एक बड़ा तालाब हुआ करता था. जिसे टाउनशिप की आड़ में प्रोजेक्ट के अंदर ले लिया गया है. उसका बांध सरकारी जमीन हुआ करता था वह भी गायब हो चुका है. वैसे बड़ा सवाल ये भी है कि बार- बार एसडीओ के बुलावे पर डेवलपर्स रिपोर्ट के साथ पेश क्यों नहीं हो रहे हैं. पूरा मामला कहीं न कहीं विवादों में घिरता जा रहा है.