झारखंड डेस्क: झारखंड में पिछले दिनों घटे नाटकीय सियासी घटनाक्रम ने जहां सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से विधायक और सूबे के आदिवासी कल्याण सह परिवहन मंत्री चंपाई सोरेन को सूबे की सत्ता का मुखिया बना दिया वहीं उनके सबसे भरोसेमंद धर्मेंद्र गोस्वामी उर्फ चंचल गोस्वामी के किस्मत का सितारा भी बुलंदियों पर जा पहुंचा. हालांकि धर्मेंद्र गोस्वामी पूर्व से मंत्री चंपाई सोरेन के आप्त सचिव रहे हैं.
जानें कौन हैं धर्मेंद्र गोस्वामी
बेहद ही साधारण परिवार में जन्मे धर्मेंद्र उर्फ चंचल गोस्वामी की प्रारंभिक शिक्षा- दीक्षा जमशेदपुर के सेंट मेरिस हिंदी उच्च विद्यालय में हुई. झारखंड के चर्चित आईएएस छवि रंजन भी इसी स्कूल के प्रोडक्ट हैं. संयोग कहें या इत्तेफाक चंचल गोस्वामी और छवि रंजन बैचमेट भी हैं. एक प्रशासनिक सेवा का अधिकारी बनने के बाद चर्चित हुए दूसरा यानी चंचल गोस्वामी मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के साथ बाल्यकाल से ही जुड़कर आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं. बचपन से ही चंचल को गाने का शौक था. वे प्रसिद्ध गायक लखबीर सिंह लक्खा के बड़े फैन थे और उनके कार्यक्रमों में मंच साझा किया करते थे. छोटे- छोटे आयोजनों में चंचल बतौर कलाकार अपनी प्रस्तुति दिया करते थे. धीरे- धीरे उनकी गायिकी के विधायक चंपाई सोरेन कायल हो गए और धर्मेंद्र को अपने साथ घुमाने लगे. उस वक्त धर्मेंद्र बेहद ही मासूम और आदित्यपुर की गलियों में चर्चित बाल कलाकार के रूप में विख्यात हो चुके थे. चंपाई सोरेन ने उन्हें पढ़ने- लिखने से लेकर आर्थिक मदद देकर धीरे- धीरे चंचल को इस योग्य बना दिया कि वे अपने परिवार का सहारा बन सकें. पढ़ाई पूरी करने के बाद उनकी नौकरी उषा मार्टिन में अच्छे पोस्ट पर हुई इसमें चंपाई सोरेन की बड़ी भूमिका रही. चंचल ने भी चंपाई सोरेन की वफादारी में कोई कोर- कसर नहीं छोड़ा. चंपाई सोरेन जैसे- जैसे सियासी तौर पर स्थापित होते गए चंचल का प्रभाव भी बढ़ता गया. विधायक से मंत्री बने चंपाई सोरेन ने चंचल गोस्वामी को अपना आप्त सचिव बनाया. आज राज्य के मुख्यमंत्री बनने के बाद चंपाई सोरेन ने धर्मेंद्र गोस्वामी उर्फ चंचल को अपना मीडिया सलाहकार बनाकर साधारण सा बालक जो अब काफी परिपक्व हो चुका है उसके हाथों सबसे महत्वपूर्ण विभाग सौंप दिया. वैसे मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को करीब से जानने वाले भली- भांति जानते हैं कि उन्होंने जिसके सिर पर हाथ रख दिया उसका बेड़ा पार लग गया. इसके एक नहीं हजारों उदाहरण सरायकेला विधानसभा में देखने को मिल जाएंगे. यही वजह है कि प्रचंड मोदी लहर में भी सरायकेला विधानसभा सीट से बीजेपी जीत को तरस गयी. अब पूरे राज्य के पत्रकारों की निगाहें मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार धर्मेंद्र गोस्वामी पर टिकी हैं कि वे सरकार और पत्रकारों के बीच कौन सी लकीर खींचते हैं जिससे लोकतंत्र की गरिमा बरकार रहे.