कांड्रा/ Bipin Varshney विभिन्न एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव की मांग को लेकर कांड्रा जंक्शन में शनिवार से शुरू हुआ अनिश्चितकालीन आमरण अनशन दिन ढलते ही समाप्त हो गया. शाम में चक्रधरपुर डिवीजन के मंडल रेल प्रबंधक अरुण जे राठौड़ ने मोबाइल पर आंदोलनकारी से बात की और उनसे एक महीने की मोहलत मांगी. जिस पर सहमति जताते हुए आंदोलनकारी आमरण अनशन से उठ गए. इधर दिन भर विभिन्न राजनेताओं से लेकर सामाजिक कार्यकर्ता कांड्रा स्टेशन पर जुटे रहे. इस दौरान स्थानीय लोगों का भी आंदोलनकारियों को भरपूर सहयोग मिला. मगर एक दिन पूर्व तक मांगें पूरी होने तक अनशन पर डटे रहने का दावा करने वाले आंदोलनकारी अंततः डीआरएम के आश्वासन के बाद पीछे हट गए.
हालांकि रेल प्रशासन ने भी किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए सशस्त्र बल की मुकम्मल व्यवस्था कर रखी थी. काफी संख्या में जीआरपी, आरपीएफ और स्थानीय पुलिस के जवान कांड्रा जंक्शन पर दिनभर जमे रहे. बता दें कि कांड्रा जंक्शन में पूर्व में टाटा- कटिहार, टाटा- दानापुर, हटिया- हावड़ा जैसी एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव होता था, मगर कोरोना काल में सभी एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव इस जंक्शन पर पूरी तरह बंद कर दिया गया. लगभग 3 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी दोबारा से इन ट्रेनों के ठहराव की कोई व्यवस्था नहीं की गई. इससे यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. बार- बार मांग पत्र और आवेदन देने के बावजूद जब रेलवे प्रशासन की कुंभकर्णी निद्रा नहीं टूटी तब जाकर स्थानीय लोगों ने 20 जनवरी से आमरण अनशन की चेतावनी दी. अनशन के पूर्व डीआरएम अरुण जे राठौड़ कांड्रा स्टेशन आए और स्थानीय लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं को जाना. उन्होंने शीघ्र ही इसके सकारात्मक निदान का आश्वासन भी दिया. लेकिन आंदोलनकारी कोरे आश्वासनों के आधार पर आमरण अनशन को कतई स्थगित करना नहीं चाह रहे थे. शनिवार की सुबह से ही कांड्रा जंक्शन पर लोगों का जुटना आरंभ हो गया. जैसे- जैसे दिन बढ़ता गया लोगों की संख्या में भी इजाफा होता रहा. शाम में डीआरएम ने आंदोलनकारी से मोबाइल फोन पर बातचीत की और बताया कि एक महीने के भीतर यात्री सुविधाओं से लेकर ट्रेन ठहराव तक की सभी मांगों पर सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा. डीआरएम से बात करने के उपरांत आंदोलनकारी ने अनिश्चितकालीन आमरण अनशन को समाप्त कर दिया.