आदित्यपुर: सोमवार को जमशेदपुर में हुए भीषण कार हादसे में सरायकेला के आदित्यपुर- 2 बाबाकुटी के छः युवकों की दर्दनाक मौत के बाद बस्ती में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है. हर आंख यही पूछ रहा है कि क्या से क्या हो गया. सबसे ज्यादा दुखदायी क्षण उस वक्त देखने को मिला जब एकसाथ सभी छः युवकों की शवयात्रा निकली. शायद ही कोई होगा जिसके आंखों से आंसू न गिरे हों. हर कोई बस यही चर्चा कर रहे थे कि यह कैसे हो गया. कल रात तक तो सभी युवक मौज- मस्ती कर रहे थे. अचानक यह क्या हो गया. वाकई घटनास्थल से लेकर एमजीम अस्पताल, पोस्टमार्टम हाउस, बाबाकुटी से लेकर श्मशान घाट तक का मंजर दिल दहला देनेवाला था.
अहम सवाल
इस हृदय विदारक घटना ने एक झटके में कई सवालों को जन्म दे दिया है. पहला और सबसे अहम सवाल वो ये कि एक इंडिगो गाड़ी में एक साथ आठ युवक कैसे बैठे थे ? जबकि ड्राइवर के साथ उक्त गाड़ी में पांच लोग ही बैठ सकते हैं. क्या सभी युवकों के परिजनों को इनके बाहर जाने की जानकारी थी, जबकि सभी युवक औसतन 15- 17 वर्ष के थे, इनमें से सभी छात्र थे. तो क्या ये माना जाए कि सभी युवकों पर उनके गार्जियन की पकड़ नहीं थी ? 31 दिसंबर की पूरी रात मौज मस्ती करने के बाद सुबह 4:30 बजे सभी चाय पीने निकल पड़ते हैं, और गार्जियन अनजान रहे ! घटना निश्चित रूप से हृदय विदारक है, मगर वैसे अभिभावकों को इसपर मंथन करने की जरूरत है, जो अपने बच्चों को खुली छूट दे रखे हैं. ये वैसे बच्चे थे जिनके अभिभावक इंडस्ट्रीयल एरिया में छोटी- मोटी नौकरी कर अपने बच्चों के भविष्य बनाने में दिनरात मेहनत कर रहे थे. थोड़ी लापरवाही और बच्चों की उद्दंडता ने एक झटके में मां-बाप के अरमानों पर पानी फेर दिया. हमारी रिपोर्ट से कुछ लोगों को पीड़ा हो सकती है, मगर इसपर मंथन करने की जरूरत है.
नहीं ली सांसद- विधायक ने सुध
इतनी बड़ी घटना के बाद भी स्थानीय विधायक और सांसद ने बाबाकुटी पहुंचकर अपनी संवेदना जताना जरूरी नहीं समझा. बच्चे देश के भविष्य होते हैं. एकसाथ छः- छः बच्चों की मौत के बाद एकाध को छोड़ न तो प्रधानमंत्री की संवेदना आती है, न मुख्यमंत्री का, न स्थानीय सांसद या विधायक का, जबकि स्थानीय विधायक सूबे के सबसे कद्दावर मंत्री माने जाते हैं. हैरान करनेवाली बात ये है कि पहली जनवरी को सरकार (राजयपाल, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, दो- दो मंत्री) खरसावां में ही थे. जहां शहीद बेदी पर राज्य के विकास की कसमें खायी जा रही थी.
क्या थी घटना
विदित हो कि सोमवार की अहले सुबह इंडिगो कार से बाबाकुटी के आठ युवक चाय निकले थे. जमशेदपुर के बिष्टुपुर थाना अंतर्गत साईं मंदिर के समीप कार जुस्को के बिजली के खंभे से टकराने के बाद पेड़ से टकरा गई, जिससे गाड़ी के परखच्चे उड़ गए. आठों युवक गाड़ी में ही फंस गए. सूचना पर पहुंची बिष्टुपुर थाना पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से गैस कटर से गाड़ी को काट- काट कर युवकों को गाड़ी से बाहर निकाला. इनमें पांच की मौके पर ही मौत हो चुकी थी, जबकि एक युवक ने इलाज के क्रम में अस्पताल में दम तोड़ दिया. मृतकों में पीयूष कुमार (पिता अमित सिंह) अनिरुद्ध कुमार (पिता चंदन यादव) शुभम कुमार (पिता प्रेम रंजन झा) हेमंत कुमार सिंह (पिता नवीन कुमार सिंह) सूरज कुमार शाह (पिता रंजीत शाह) और अनिकेत कुमार (पिता श्रवण महतो) शामिल हैं. वहीं गंभीर रूप से घायल दो युवकों में हर्ष कुमार झा (पिता जितेंद्र नारायण झा) और रवि झा (पिता सुनील झा) को इलाज के लिए टीएमएच और स्टील सिटी नर्सिंग होम भेजा गया है. उधर देर शाम सभी छः युवकों के शव का बिष्टुपुर पार्वती घाट में अंतिम संस्कार कर दिया गया.
इन्होने जताई संवेदना
घटना पर आदित्यपुर नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष पुरेंद्र नारायण सिंह, जिला बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष ओमप्रकाश, भाजपा नेता गणेश महाली, सतीश शर्मा आदि ने अपनी संवेदना जताई है, मगर न तो स्थानीय सांसद, विधायक और न ही जिला पुलिस- प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने आयी है.