आदित्यपुर: सरायकेला- खरसावां जिला के प्राइवेट नर्सिंग होम इन दोनों मरीजों का दोहन करने में जुटे हैं. इसमें सबसे अग्रणी नाम शिवा नर्सिंग होम का है. जहां आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीज को एडमिट करने का सब्जबाग दिखाया जाता है उसके बाद शुरू होता है अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर के बीच खेल, जिसमें फंसकर मरीज के परिजन अपना समय और धन दोनों गंवाने पर मजबूर हो जाते हैं.
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यहां हम एक ऐसे ही मरीज का जिक्र कर रहे हैं जिसके परिजन शिवा नर्सिंग होम के झांसे में आकर बुरी तरह से फंस गए. जहां नर्सिंग होम में दो दिन मरीज तड़पता रहा, बाहर परिजन. वैसे गनीमत रही कि परिजनों ने मगध सम्राट नर्सिंग होम से इस बीच संपर्क स्थापित कर लिया और शुक्रवार को करीब चार घंटे तक मरीज का सफलतापूर्वक ऑपरेशन कर परिजनों के चेहरे पर मुस्कान ला दिया.
क्या है मामला
दरअसल बीते शनिवार को गौरीशंकर सेन नामक युवक सड़क दुर्घटना में घायल हो गया था. जिसमें उसके दाहिने पैर की हड्डी टूट गई. परिजन उसे पहले ईएसआईसी अस्पताल ले गए. जहां संसाधनों की कमी और दो दिन सरकारी छुट्टी होने के कारण उसका ईलाज नहीं हो सका. मंगलवार को डॉक्टर पहुंचे और संसाधनों की कमी का हवाला देकर बाहर रेफर करने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया. परिजन मरीज को आयुष्मान भारत योजना के तहत ईलाज कराने शिवा नर्सिंग होम लेकर गए. यहां परिजनों को कहा गया कि यदि आयुष्मान के तहत ईलाज करानी है तो ₹3 हजार जमा करानी होगी, यदि प्राइवेट में ईलाज करानी है तो ₹5 हजार देना होगा. परिजनों ने आयुष्मान योजना के तहत भर्ती कराया. मगर डॉ ज्ञान प्रकाश ने यहां भी संसाधनों की कमी बताकर अन्यत्र रेफर करने की सलाह दी. जिसके बाद परिजनों ने थक हारकर मगध सम्राट अस्पताल में संपर्क किया. यहां के प्रबंधक डॉ ज्योति कुमार ने अपने एक्सपर्ट डॉक्टरों से संपर्क कर मामले से अवगत कराया जिसके बाद डॉक्टर सूरज कुमार मुर्मू ने मरीज के ऑपरेशन का बीड़ा उठाया. कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद शुक्रवार को करीब चार घंटे के ऑपरेशन के बाद मरीज को बाहर निकाला गया जिसके बाद परिजनों के चेहरे पर रौनक लौटी. परिजनों ने मगध सम्राट प्रबंधन और डॉक्टर सूरज मुर्मू के प्रति आभार जताया. परिजनों ने बताया कि ईएसआईसी और शिवा नर्सिंग होम के ढुलमुल रवैया की वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जबकि मेरे मरीज की स्थिति बेहद ही गंभीर थी. दोनों जगहों की कार्यशैली से हमारा पूरा परिवार दुःखी है.
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