खरसावां : झारखंड राज्य गठन के 23 साल बाद भी झारखंड आंदोलनकारी सनातन सोय को सम्मान नही मिला है. मान-सम्मान और अधिकार को लेकर सनातन सोय दर-दर भटके को मजबूर है. झारखंड आंदोलनकारी सनातन सोय ने एक बयान जारी कर कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के बैनर तले पूर्व सांसद कृष्णा मार्डी एवं वर्तमान विधायक सह झारखंड सरकार के मंत्री चम्पाई सोरेन के नेतृत्व में सन 1984 से लेकर झारखंड अलग राज्य निर्माण सन् 2000 तक सक्रिय भूमिका निभाई. इसके बावजूद मान-सम्मान को लेकर भटकना पड रहा है. वर्तमान में झामुमो का सक्रिय कार्यकर्ता हूँ.
उन्होने कहा कि झारखंड आंदोलन को कमजोर करने के लिए मेरे ऊपर कई गंभीर आरोप लगाया गया. विगत 9 जून 1989 से लेकर 15 जून 1989 का झारखंड बंद एवं अर्थिक नाकेबंदी का आह्वान झामुमों के केन्द्रीय कमिटि द्वारा लिया गया था. इसी बंदी के दौरान मेरे ऊपर परसुडीह थाना में झारखण्ड बंद के दौरान विधि-व्यवस्था भंग करने के आरोप लगा था. उन्हें संकाटा सिंह पेट्रोल पम्प कांड का भी आरोपी बनाया गया था जिसमें परसुडीह थाना द्वारा गिरप्तार कर 7 फरवरी 1990 को अख्तर हुसैन के साथ विचाराधीन बंदी के रूप में जेल भेजा गया था.
इसी कांड में अख्तर हुसैन को 7 फरवरी 1990 से लेकर 02 अप्रेल 1991 तक का कारा प्रमाण पत्र दिया गया. उन्होंने कहा कि लगभग दो साल तक जेल में रहा हूं. इसके लिए मैने कई बार कारा अधीक्षक को कारा प्रमाण पत्र हेतु आवेदन दे चुका हूं. लेकिन मुझको अभी तक कारावास प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराया गया. झारखंड सरकार द्वारा गठित झारखंड आंदोलनकारी चिन्हिति करण आयोग को भी कारावास प्रमाण पत्र उपलब्ध कराना है. लेकिन अभी तक मुझे कारावास प्रमाण पत्र नहीं दिया गया. उन्होने कहा कि झारखंड अलग राज्य के मैने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया. इतना ही नहीं आन्दोलन के दरमयान घर द्वारा सब कुछ गवां चूका हूं.
18 अक्टूबर 1990 को टाटा कंपनी के नौकरी से भी बर्खास्त कर दिया गया. शरीरिक रूप से विकलांग हूं. सोचा भी नहीं था कि अपनी सरकार होते हुए, आंदोलनकारियों के साथ ऐसा होगा. जिस राज्य का नेतृत्व एक वरिष्ठ आंदोलनकारी का बेटा कर रहा है. लेकिन आज अलग राज्य बनने के 23 साल बाद भी मुझको न्याय नहीं मिला ना ही केंद्रीय कारावास से कारा प्रमाण पत्र मिला. सनातन ने हेमन्त सरकार से निवेदन किया है कि झारखंड आंदोलनकारी द्वारा निर्माण किया गया. राज्य के आंदोलनकारियों को उनका हक और अधिकार एवं सम्मान देने दिया जाए. ताकि झारखंड अलग राज्य के लिए शहीद हुए वीर सपूतों कि पवित्र आत्मा को शांति मिल सके.