सरायकेला (Pramod Singh) जिले के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है. जहां झारखंड राज्य स्कूली शिक्षा एवं सहकारिता विभाग के सचिव सह झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक ने उपायुक्त को डीईओ जितेंद सिन्हा एवं जिले की कस्तूरबा प्रभारी सांत्वना जेना के खिलाफ 15 दिनों के भीतर कार्रवाई करते हुए विभाग को अवगत कराने का निर्देश दिया है.
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जानें क्या है मामला
दरअसल उक्त दोनों के खिलाफ कस्तूरबा में सामानों की आपूर्ति करने वाले वेंडर एमएस बालाजी ट्रेडर्स ने विभाग के सचिव के पास शिकायत दर्ज कराई थी. जिसमें उनके द्वारा दावा किया गया था कि उक्त द्वारा टेंडर प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हुए दूसरे स्थान पर बोली लगाने वाले संवेदक एमएस जेएन संस को गलत तरीके से टेंडर देने का आरोप लगाया था. विभागीय सचिव के निर्देश पर कोल्हान आयुक्त ने सरायकेला एडीसी सुबोध कुमार एवं चाईबासा के प्रशिक्षु आईएएस श्रुति राजलक्ष्मी को जांच करने का जिम्मा सौंपा था. दोनों अधिकारियों ने अपने जांच में डीईओ एवं कस्तूरबा प्रभारी को दोषी पाते हुए अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसपर संज्ञान लेते हुए विभागीय सचिव ने उपायुक्त को 15 दिनों के भीतर कार्रवाई पर रिपोर्ट तलब किया है.
कैसे हुआ भ्रष्टाचार
दरअसल झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा निकाले गए निविदा के आलोक में बालाजी ट्रेडर्स ने जिले के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में सामानों की आपूर्ति के लिए टेंडर डाले थे. जिसमें कुचाई एवं नीमडीह के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय के लिए उन्हें टेंडर हासिल हो गया. इस बीच 21 जून 2023 को वांटेक इंटरप्राइजेज के लेटर हेड से बालाजी ट्रेडर्स को ब्लैकलिस्टेड बताते हुए एक शिकायत दर्ज कराई गई. इसके बाद बालाजी का टेंडर निरस्त करते हुए दूसरे नंबर पर बोली लगाने वाले जेएन संस को टेंडर दे दिया गया. इसके खिलाफ संवेदक मेसर्स बालाजी ट्रेडर्स ने विभाग के साथ कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया, हालांकि विभागीय जांच के दौरान टेंडर में हुए फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया है.
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा
वांनटेक इंटरप्राइजेज की ओर से 21 जून 2023 को जिस लेटर हेड पर बालाजी ट्रेडर्स के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी उस लेटर हेड जिस जीएसटी नंबर का प्रयोग किया गया है वह 7 जून 2022 को निरस्त हो चुका है, और वह एक पार्टनरशिप फर्म था. जिसमें विशाल चौबे और जन्मजय सिंह पार्टनर थे. मगर लेटरहेड में शिकायतकर्ता ने प्रोपराइटर बनकर शिकायत की थी. दिलचस्प बात ये है कि जेएन इंटरप्राइजेज का प्रोपराइटर जन्मजय सिंह है, जिसे फिलहाल टेंडर दिया गया है.
नियमों का नहीं हुआ पालन
टेंडर प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया है झारखंड शिक्षा परियोजना के पत्रांक संख्या GE/08/132/2019-20/2648 के तहत टेंडर प्रक्रिया फाइनल होने पर डीईओ, डीएसई, उद्योग विभाग के प्रतिनिधि, जिला लेखा पदाधिकारी, वाणिज्य कर पदाधिकारी, कस्तूरबा प्रभारी और उपायुक्त के प्रतिनिधि का हस्ताक्षर होना अनिवार्य है. इसमें डीएसई और उपायुक्त के प्रतिनिधि का हस्ताक्षर नहीं है, जबकि जिला लेखा पदाधिकारी एवं वाणिज्य कर पदाधिकारी के हस्ताक्षर किसी अन्य द्वारा किया गया है.
आगे क्या
सरायकेला- खरसावां जिला के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय के टेंडर मामले में भ्रष्टाचार का भेद खुलते ही अब सबकी निगाहें उपयुक्त के कार्रवाई पर टिक गई है. आगे देखना यह दिलचस्प होगा कि मामले में उपायुक्त क्या कार्रवाई करते हैं. हालांकि पूरी प्रक्रिया में जो बातें सामने आई है उसे साफ प्रतीत होता है कि भ्रष्टाचार की गंगा में सभी ने जमकर डुबकी लगाई है. ऐसे में कहीं कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति होकर ना रह जाए यह अहम सवाल है.
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