औरंगाबाद/ Dinanath Mouar राजधानी पटना स्थित मेडाज अस्पताल की ओर से निकाली गई स्ट्रोक जागरूकता रथ रविवार को औरंगाबाद पहुंची. जहां एक जागरुकता कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में अस्पताल के मार्केटिंग मैनेजर महताब हुसैन ने कहा कि स्ट्रोक (लकवा) एक न्यूरो इमरजेंसी है और दुनिया में हर चार में से एक व्यक्ति अपने जीवन काल में स्ट्रोक (लकवा) का प्रभाव झेलता है. यह लाइलाज नहीं है. इसका इलाज संभव है. समय पर लक्षण की पहचान कर पीड़ित की जान बचाई जा सकती है.
उन्होंने बताया कि अगर मरीज को “गोल्डन आवर्स” (पहले 4- 5 घंटे) के अंदर नजदीकी अस्पताल या स्ट्रोक सेंटर पहुंचाया जाए तो अत्यावश्यक मस्तिष्क कोशिकाओं के स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त होने से होने वाली मृत्यु या आजीवन विकलांगता से बचाया जा सकता है. कहा कि अस्पताल प्रबंधन ने विश्व स्ट्रोक दिवस पर
आम लोगों में स्ट्रोक के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से जागरूकता रथ को अस्पताल के डायरेक्टर व चीफ कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. (डॉ.) जेड आजाद ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया है. ऐसे कई जागरूकता रथ राज्य के विभिन्न जिलों में घूम- घूम कर लोगों को स्ट्रोक (लकवा) के कारण, लक्षण, इलाज व इससे बचाव के उपायों के बारे में जागरूक कर रहे है. उन्होने यह भी कहा कि स्ट्रोक दुनिया में विकलांगता का प्रमुख और भारत में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है. दुनिया में हर चार में से एक व्यक्ति अपने जीवन काल में स्ट्रोक (लकवा) का प्रभाव झेलते हैं. यह किसी को भी और किसी उम्र में हो सकता है. स्ट्रोक के संकेत व लक्षणों की जल्द पहचान कर इसके प्रभाव को काफी कम किया जा सकता है. कहा कि स्ट्रोक के इलाज में हर मिनट महत्वपूर्ण है. आपकी तत्काल कार्रवाई पीड़ित की मस्तिष्क क्षति और दीर्घकालीन विकलांगता को रोकने में मदद कर सकती है. इसलिए जरूरी है कि लोग इसके लक्षणों को पहचानें. किसी में भी यह लक्षण दिखने पर उसे तत्काल विशेषज्ञ डॉक्टर या अस्पताल तक पहुंचाएं. स्ट्रोक का शिकार होने वाले हर चार में से एक व्यक्ति को पुन: स्ट्रोक की संभावना बनी रहती है. धूम्रपान से बचाव तथा ब्लडप्रेशर, ब्लड शुगर और हाइ कॉलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण कर इसे रोका जा सकता है.
ऑडियो-वीडियो कंटेट से लोगों में फैला रहे जागरूकता
कहा कि जागरूकता वाहन के साथ चलनेवाले कर्मी पंपलेट और बेहद सरल आडियो- वीडियो कंटेंट के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहे हैं. इसके लिए एजुकेशनल कंटेट विशेषज्ञों द्वारा सरल भाषा में तैयार किया गया है. पटना से निकलने के बाद यह जागरूकता वाहन अब तक वैशाली, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, फारबिसगंज, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, खगड़िया, बेगूसराय, मुंगेर, भागलपुर, नवादा, बिहारशरीफ, गया और औरंगाबाद के कई प्रखंडों में घूम चुका है. अगले दो महीने तक यह वाहन इसी तरह अन्य जिलों में घूम- घूम कर जागरूकता का संदेश देगा. पिछले साल भी ऐसे कई स्ट्रोक जागरूकता वाहन जिलों में रवाना किये गये थे.
स्ट्रोक के लक्षण सीख बचाएं किसी का जीवन व उसके चेहरे की मुस्कान
एफएएसटी तरीके से स्ट्रोक पीड़ित की पहचान की जा सकती है. इनमें चेहरे का एक भाग झुकने लगे या उस पर नियंत्रण समाप्त हो जाए. ए (आर्म) यानी बांह में कमजोरी महसूस हो, व्यक्ति हाथ उठाने में असमर्थ महसूस करे. एस (स्पीक) यानी बोलने में परेशानी या लड़खड़ाहट महसूस हो. टी (देन) यानी तब यह सही समय है एंबुलेंस बुलाने और उनको बताने का कि यह स्ट्रोक है.