सरायकेला: झारखंड की राजनीति करवट लेने लगी है. शनिवार को जो एक तस्वीर सामने आयी है वो अपनी कहानी खुद बयां कर रही है. दरअसल यह तस्वीर जमशेदपुर पूर्वी के विधायक और झारखंड की राजनीति के चाणक्य सरयू राय ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किया है. इसमें सरयू राय राज्य के दो- दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के साथ एक कार्यक्रम में नजर आ रहे हैं. दोनों पूर्व मुख्यमंत्री बीजेपी से ताल्लुक रखते हैं.
वैसे राजनीति भी कई रंग दिखाती है. इसके अनेकों उदाहरण भरे पड़े हैं. कल तक जो एक- दूसरे को नीचा दिखाने पर आमादा नजर आते हैं एक झटके में एकदूसरे के गले में गले मिलाकर दुनिया को दिखाने चले आते हैं. इनके चक्कर में जनता यह तय नहीं कर पाती कि उनसे क्या भूल हो गयी और वे किसका साथ दें. फिर चाहे देश की राजनीति हो या राज्यों की. ऐसे अनेकों उदाहरण भरे पड़े हैं.
इस तस्वीर में सरयू राय केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के साथ नजर आ रहे हैं जो ये बताने के लिए काफी है कि सरयू राय की जल्द ही घर वापसी होनेवाली है. वैसे कब इसकी घोषणा होती है यह देखना दिलचस्प होगा. अंदरखाने की माने तो पीएम मोदी के खूंटी दौरे पर संभवतः सरयू राय की घर वापसी हो सकती है. वैसे सरयू राय राजनीति के ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने सत्ता में रहते हुए भी अपनी पार्टी की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा किया और सत्ता से दूर रहकर भी सत्ता को कटघरे में खड़ा किया. जिन्होंने दो- दो पूर्व मुख्यमंत्रियों (लालू प्रसाद यादव और मधु कोड़ा) को सलाखों के पीछे भिजवाया. जिनकी राजनीतिक पारी बिल्कुल बेदाग रही है. इतना ही नहीं प्रचंड मोदी लहर में उन्होंने 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से बगावत कर बीजेपी के अभेद्य किला में सेंधमारी कर सूबे के मुख्यमंत्री रहे रघुवर दास को सत्ता से इतना दूर कर दिया कि अब वे झारखंड की राजनीति से या यूं कहें कि रघुवर दास का राजनीतिक सफरनामा ही समाप्त हो गया. मगर सरयू राय आज भी सियासी मैदान में डटे हैं, मगर अब सियासी बयार कुछ अलग ही कहानी बयां कर रही है. जिस बीजेपी से बगावत कर सरयू राय ने जमशेदपुर पूर्वी की सीट हथियाई थी, अब जब रघुवर दास किनारे लगा दिए गए और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के हाथों झारखंड बीजेपी की कमान आलाकमान ने सौंप दी तो सूबे की सियासत में बदले समीकरण में राजनीति के चाणक्य भी अपनी संभावना तलाशने में जुट गए हैं. ऐसा हम नहीं बल्कि सरयू राय के हालिया बयानों पर यदि गौर करें तो स्थिति साफ हो जाएगी. आपको बता दें कि सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर किए जा रहे ईडी की कार्रवाई को सही ठहराते हुए ईडी को पाकसाफ करार दिया है. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा के कार्यकाल की सराहना भी की. उसके बाद शनिवार को सरयू राय ने अपने फेसबुक पेज पर यह तस्वीर पोस्ट कर अपनी स्थिति साफ कर दी है. अमूमन सरयू राय बीजेपी छोड़ने के बाद उसके नीतियों का विरोध करते रहे हैं. वैसे सरयू राय भले बीजेपी से अलग रहे मगर संघ की उपज सरयू राय का संघ प्रेम जिंदा रहा और अब जब बाबूलाल मरांडी की पार्टी में फिर वापसी हुई है और रघुवर दास किनारे लगा दिए गए हैं तो सरयू राय को लगने लगा है कि इस बार जमशेदपुर पूर्वी सीट को उनके लिए बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जीतना आसान नहीं होगा, क्योंकि पिछली बार रघुवर दास के खिलाफ लोगों में आक्रोश था. पार्टी के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी. उन्होंने सरयू राय को पिछले दरवाजे से अपना समर्थन दे दिया और रघुवर दास को ठीक उसी अंदाज में हराया जिस अंदाज में मुख्यमंत्री रहते अर्जुन मुंडा को खारसावां सीट गंवानी पड़ी थी और राज्य की सत्ता से उन्हें दूर होना पड़ा था. मगर अब परिस्थियां बदल चुकी है. सरयू राय के बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा से रिश्ते मधुर रहे हैं और यही वजह है कि सरयू राय के बीजेपी को लेकर सुर बदलने लगे हैं. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि सरयू राय को बीजेपी घर वापसी कराती है या सरयू राय अब राजनीति से सन्यास लेते हैं. हां सरयू राय की एक हसरत अभी अधूरी है और ऐसा लगता है कि वो हसरत अधूरी ही रह जाएगी. आपको याद दिला दें कि सरयू राय ने कई बार इस बात का जिक्र खुले मंच से किया है कि कहीं उनके हाथों तीसरा मुख्यमंत्री यानी रघुवर दास को जेल न जानी पड़े. अब न रघुवर दास सक्रिय राजनीति में हैं और न सरयू राय में उतना माद्दा बचा है कि उनकी सुनी जाए. भले उनके दावों में दम हो मगर राजनीति के चौसर पर जीतता वही है जिसके पास सत्ता होती है जो सरयू राय के पास है नहीं. यदि सरयू राय की बीजेपी में वापसी हो भी जाती है तो वे उतने मारक रह नहीं जाएंगे कि अपने ही पार्टी के नेता के खिलाफ जा सकें. बहरहाल देखना यह दिलचस्प होगा कि सरयू राय रूपी ऊंट किस करवट बैठता है.