औरंगाबाद/ Dinanath Mouar : एक ओर जहां दुनिया चांद पर पहुंच रही है वहीं कई ऐसी घटनाएं होती है जो विज्ञान पर भारी पड़ जातीहैत. बिहार के औरंगाबाद में एक ऐसा भी जगह है जहाँ भूतो का मेला लगता है और उन्हें दंडित भी क्या जाता है. हम बात कर रहे है औरंगाबाद जिला मुख्यालय से तकरीबन 25 किलोमीटर दूर कुटुम्बा प्रखंड में इस्थित महुआधाम की जहाँ आज भी अंधविश्वास हावी है. महुआधाम में माता अष्टभुजी की प्रतिमा स्थापित है. आज से 50 वर्ष पूर्व ग्रामीणों के द्वारा एक भव्य मंदिर का भी निर्माण कराया गया था. लोगो का मानना है कि यहाँ आने से लाइलाज बीमारी तथा प्रेत बाधा से छुटकारा मिल जाता है.
इसकी पड़ताल को लेकर हमारी टीम वहाँ पहुँची और वहाँ की सारी गतिविधि को बारीकी से अपने कैमरे में कैद किया. वहाँ उपस्थित लोगों से जब हमारी टीम ने बातचीत की बहुत बड़ा खुलासा निकल कर सामने आया जो आपको चौका कर रख देगा. पड़ताल के दौरान वहां अंधविश्वास हावी दिखा. लोगो ने बताया कि इस स्थान पर आने से बड़े से बड़े बीमारी ठीक हो जाता है. उन्होंने यह भी बताया की जिस व्यक्ति पर निगेटिव एनर्जी का प्रभाव रहता है उस व्यक्ति को जब माता रानी के प्रांगण में लाया जाता है तो उसके शरीर मे कुछ अजब सी हरकते होने लगती है और वह गिरने पटकने तथा झूमने लगता है और वह तबतक इसी तरह का हरकत करते रहता है जबतक उसके शरीर से प्रेत आत्मा का प्रभाव समाप्त नही हो जाता है .
लोगो ने यह भी बताया कि यहाँ साल के दोनों नवरात्र में चाहे वह शरद नवरात्रा हो या बसन्त नवरात्रा इस समय माता रानी का विशेष दरवार लगता है उस समय लाखो की संख्या में श्रद्धालु की जमावड़ा भी लगती है और इस विशेष दरवार में माता रानी के द्वारा प्रेतों को सजा भी दी जाती है. माता रानी की सजा देने का भी अजीब तरीका है. माता रानी के मंदिर के पास एक मिट्टी का कुण्ड बना हुआ है जिसमें नाली की पानी आकर जमा होता है. उसे नरक कुण्ड के नाम से जाना जाता है. लोगो का मानना है जिस व्यक्ति के ऊपर प्रेत आत्मा का प्रभाव रहता है उसे माता राणी के द्वारा सजा सुनाई जाती है जिससे व्यक्ति स्वतः वह नरक कुण्ड में जा कर गिर जाता है और तबतक वह नरक कुंड में तड़पते रहता है जब तक उस व्यक्ति के ऊपर से प्रेत आत्मा का प्रभाव समाप्त नही हो जाये. प्रेत आत्मा का प्रभाव समाप्त होते ही वह व्यक्ति स्वम वहाँ से निकल कर बाहर चला जाता है ऐसा लोगो का मानना है.
बाइट- स्थानीय
जब टीम के द्वारा वहाँ की व्यवस्था पर बात की गई तो लोगो ने बताया कि यहाँ पर जिला प्रसासन के द्वार किसी भी तरह का कोई व्यवस्था नही किया जाता है जबकि यहाँ लाखो की संख्या में श्रद्धालु आते है. लेकिन श्रद्धालुयों को रुकने का यहाँ कोई भी व्यवस्था नही है. ग्रामीणों के द्वारा नहर के चाट में सैकड़ो झोपड़ी नुमा विश्राम गृह बनाया गया है जिसमे श्रद्धालु शरण लेते है रात गुजारने पर विवश रहते है. अगर स्वस्थ्य विभाग की बात की जाये तो वहाँ मेडिकल टीम की कोई भी व्यवस्था नही है और नही सवक्षता मिशन को ध्यान में रखते हुए कोई सामूहिक शौचालय का भी व्यस्था किया गया है जिसके कारण वहाँ गंदगी की अम्बर देखने को मिलता है.
बाइट- स्थानीय