खरसावां : खरसावां के खूंटपानी प्रखंड में कलामंदिर जीविधाहासा के द्वारा बाल विवाह एक कानूनी अपराध पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान लोगों को बाल विवाह से जुड़े कानून से अवगत कराया गया. कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि के रूप में खूंटपानी प्रखंण्ड प्रमुख सिद्धार्थ होनहागा मौजूद रहे. सिद्धार्थ ने लोगों को बताया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 को एक नवम्बर 2007 से लागू किया गया था. इसमें बाल विवाह करना या करवाना संज्ञेय और गैर जमानती अपराध है.
उन्होंने बताया कि जो माता-पिता अपने पुत्र पुत्रियों का बाल विवाह करवाते है तो उन्हें दो वर्ष का कारावास व एक लाख रुपयों का दंड देने का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि भारत में बाल विवाह सदियों से प्रचलित है और यह किसी धर्म विशेष से नहीं होकर सभी धर्मों, समुदायों और वर्गों में लम्बे समय से चल रही एक प्रथा है. वर्तमान समय में यह प्रथा ग्रामीण इलाकों में ज्यादा देखने को मिलती है. बाल विवाह के पीछे कारणों में मुख्यतः गरीबी, अशिक्षा, पितृसत्ता जैसे कारण हैं. वर्तमान समय में बालक के लिए 21 साल एवं बालिका के लिए 18 साल निर्धारित है.
यदि कोई भी व्यक्ति इस निर्धारित उम्र से काम उम्र में शादी करता है. तो उसे बाल विवाह करार दिया जायेगा. बाल विवाह मुख्यतया परिवार द्वारा बनाई गयी व्यवस्था के अधीन होते हैं. जहां सहमति का कोई स्थान नहीं होता है. किन्तु सहमति से किया गया बाल विवाह भी कानूनी रूप से वैध नहीं है. वर्तमान समय में बाल विवाह को किसी भी एक व्यक्ति द्वारा शून्य या शून्यकरण घोषित करवाया जा सकता है. बाल मजदूरी और शोषण के अनेक कारण हैं. जिनमें गरीबी, सामाजिक मापदंड, वयस्कों तथा किशोरों के लिए अच्छे कार्य करने के अवसरों की कमी, प्रवास और इमरजेंसी शामिल हैं.
ये सब वज़हें सिर्फ कारण नहीं बल्कि भेदभाव से पैदा होने वाली सामाजिक असमानताओं के परिणाम हैं. इस कार्यक्रम में मुख्य रूप में प्रखंण्ड प्रमुख सिद्धार्थ होनहागा, ब्लॉक कोऑर्डिनेटर सुनील कुमार, कलामंदिर, प्रखंण्ड अंचल के अध्यक्ष पूरी पूर्ति, सचिन जोसेफ तियू, कोषाध्यक्ष कमल किशोर सहित मुंडा मानकी डाकुवा व ग्रामीण उपस्थित थे.