डेस्क/ कुड़मी समुदाय को एसटी में शामिल करने और कुरमाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध किए जाने की मांग को लेकर कुड़मी संगठन के लोगो ने बुधवार से राज्यव्यापी रेल टेका डहर छेका (रेल- रास्ता रोको) आंदोलन की शुरुआत की है. हालांकि कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा इस आंदोलन को अवैध घोषित किया जाने के बाद झारखंड के कुड़मी समुदायों ने इसे यहां सफल बनाने का बीड़ा उठाया और तय रणनीति के तहत राज्य के विभिन्न स्टेशनों पर पारंपरिक वाद्य यंत्रों व हरवे- हथियार से लैस होकर जुटे.
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जहां इन्हें रोकने को लेकर रेल प्रशासन एवं जिला प्रशासन द्वारा जगह- जगह बैरिकेडिंग किए गए थे, बावजूद इसके कुछ जगहों पर इन्होंने पुलिस- प्रशासन की मुश्तैदी को धत्ता बताते हुए रेल ट्रैक को बाधित कर दिया है. इनमें से एक है बोकारो जिला का नेताजी सुभाषचंद्र जंक्शन (गोमो) जहां हजारों की संख्या में जुटे आंदोलनकारियों ने रेलवे व जिला प्रशासन की सुरक्षा घेरा को तोड़ते हुए न केवल रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया, बल्कि रेलवे स्टेशन पर कब्जा जमा लिया है. जहां वे पारंपरिक नृत्य- संगीत कर रहे हैं और उक्त रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन बाधित कर दिया है.
इससे पूर्व समूचे बोकारो व आसपास के कुड़मी समुदाय के लोग सुबह से ही जुटने लगे थे. धीरे- धीरे वे जुलूस की शक्ल में रेलवे स्टेशन की ओर बढ़ने लगे. इन्हें रोकने के दौरान सुरक्षाबलों को बल प्रयोग भी करनी पड़ी, मगर आंदोलनकारी सुरक्षाकर्मियों पर भारी पड़े और अंततः आंदोलनकारियों ने रेलवे स्टेशन और रेल ट्रैक पर कब्जा जमा लिया है.
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