औरंगाबाद/ Dinanath mouar औरंगाबाद : विवादों से चोली-दामन का रिश्ता रखने वाले औरंगाबाद के सदर अस्पताल में नित नये एक से बढ़कर गुल खिला करते है. कभी डॉक्टर की लापरवाही से मरीज की मौत हो जाती है तो कभी गार्ड मरीज को पीट देता है. कभी-कभी तो आइसीयू काम करना बंद कर देता है. वहीं अगर आउटसोर्सिंग एजेंसी को भुगतान नही हुआ को जांच, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड और सिटी स्कैन की सेवा बंद हो जाती है. इस बीच ताजा मामलें में तो सदर अस्पताल ने गजब का कमाल कर दिया है. दरअसल सदर अस्पताल से एक ही मृतक की दो पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी होने का मामला प्रकाश में आया है. इतना ही नहीं मौत की तारिख भी वहीं और जारीकर्ता डॉक्टर भी वही, सीरियल नंबर भी एक पर दोनों रिपोर्ट में मौत का कारण अलग.
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कमाल यह हुआ है कि अस्पताल के एक चिकित्सक ने एक ही मृत व्यक्ति का दो पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी कर दिया है. दोनों ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण अलग-अलग है और दोनों ही रिपोर्ट एक ही डॉक्टर ने जारी की है. दोनों रिपोर्ट जारी करने की तारीख भी एक ही है और रिपोर्ट नंबर भी एक ही है. मृतक का दो-दो पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी किए जाने के मामले से सदर अस्पताल के पूरे सिस्टम की पोल खुल गई है. भरोसेमंद सूत्रों की माने तो औरंगाबाद सदर अस्पताल में वह सब कुछ होता है, जो नही होना चाहिए. यहां प्रसव कराने के लिए नर्स पैसे लेती है. मेडिकल सर्टिफिकेट, हेल्थ सर्टिफिकेट, फिजिकली डिसएबिलिटी सर्टिफिकेट, किसी कागजात को अभिप्रमाणित कराने तक के लिए यहां के कर्मी पैसे लिया करते है. इतना ही नही इंज्यूरी रिपोर्ट में घटाव-बढ़ाव करने और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण बदलने के लिए भी पैसे लिए जाते है. एक ही मृतक का दो पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी किए जाने का मामला भी रुपयों के खेल की ओर ही इशारा कर रहा है.
पोस्टमार्टम की पहली रिपोर्ट में मौत का कारण भूख, कमरे में दबाव में रहने के कारण लू लगने और डिहाइड्रेशन बताया गया है. वहीं रिपोर्ट को बदल कर जारी की गई दूसरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण भूख, लू और डिहाइड्रेशन के बताया गया है. मामला औरंगाबाद के रफीगंज शहर के कासमा रोड स्थित एक निजी स्कूल के छात्रावास के बेसमेंट स्थित एक कमरे में का में संदिग्ध परिस्थितियों में एक व्यक्ति की मिली लाश से जुड़ा है. बताया जाता है कि स्कूल के हॉस्टल के बेसमेंट के एक कमरें से चार माह पहले इसी साल 12 जून को सुबह में एक व्यक्ति की लाश मिली थी. मृतक की पहचान कुटुम्बा प्रखंड के रिसियप थाना क्षेत्र के विशुनपुर गांव निवासी बबन कुमार सिंह के रूप में की गई थी. मृतक का पुत्र सूर्य प्रकाश उसी स्कूल में पढ़ता था और मृतक बेटे को पढ़ाने के लिए ही हॉस्टल के बेसमेंट में स्थित एक कमरे में किराए पर बेटे के साथ रहता था. मामले में मृतक के भाई मदन कुमार सिंह ने रफीगंज थाना में एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी. प्राथमिकी में स्कूल के संचालक विजय कुमार सिंह पर हत्या का आरोप लगाया गया था.
प्राथमिकी में मृतक के भाई ने कहा था कि उसे 12 जून को सूचना मिली कि उनके भाई की मौत हो गई है. सूचना मिलने पर जब मौके पर पहुंचा तो देखा कि उनका भाई कमरे में मृत पड़ा था. लाश के नाक और मुंह से काफी खून निकला हुआ था साथ ही शरीर पर भी कई जगहों पर गंभीर चोट के निशान दिखाई पड़े थे. प्राथमिकी में मृतक के भाई ने यह भी आरोप लगाया था कि उनके भाई का स्कूल के संचालक विजय कुमार सिंह के साथ पैसे के लेनदेन को लेकर कुछ दिनों से विवाद चल रहा था. कहा था कि स्कूल के संचालक ने उनके भाई के घर और जमीन खरीदी थी और उसकी रजिस्ट्री भी कराई थी. जमीन की खरीद-बिक्री के एवज में मृतक क पैसा स्कूल संचालक पर बकाया था. इसे लेकर मृतक स्कूल संचालक से लगातार तगादा करता था लेकिन स्कूल संचालक उसे बकाए का भुगतान नही कर रहा था. आरोप है कि स्कूल संचालक बबन को कुछ दिनों से पैसे का तगादा नही करने की सख्त हिदायत देने के साथ ही उसे हत्या करने की भी धमकी भी दे रहा था. यह भी आरोप है कि पैसा देने से बच जाने के लिए ही स्कूल संचालक ने बबन की हत्या कर दी.
मृतक के भाई मदन कुमार सिंह का आरोप है कि स्कूल संचालक काफी रसूखदार है. उसे मामले में शुरू से ही अंदेशा था कि स्कूल संचालक मामले से खुद को बरी कराने के लिए हर तरह का हथकंडा अपनाएगा. इसी वजह से वह केस से जुड़ी हर एक्टिविटी पर नजर रख रहा था. इसी क्रम में जब पोस्टमार्टम की रिपोर्ट उसे हाथ लगी तो यह संतोष हुआ कि अब न्याय मिल सकेगा. रिपोर्ट के आलोक में वह रफीगंज थानाध्यक्ष से स्कूल संचालक को गिरफ्तार करने की मांग भी की लेकिन चंद दिन बाद ही रिपोर्ट बदल दी गई. इसके बाद मृतक के भाई को जब थानाध्यक्ष ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या से संबंधित कोई ऐसी बात सामने नहीं आई है तो वह आश्चर्यचकित रह गया. जब रिपोर्ट देखा तो पाया कि अपने भाई की मौत से संबंधित जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट उसने पहले प्राप्त की थी, वह बिल्कुल बदला हुआ है.
मामले में आरोपी बने स्कूल संचालक ने हत्या की हो या न की हो लेकिन एक ही डॉक्टर द्वारा एक ही मृतक का दो पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी किए जाने से यह साफ हो गया है कि औरंगाबाद सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम की रिपोर्ट बदली जाती है. ऐसा होने के पीछे रूपयों के खेल से भी इंकार नही किया जा सकता है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदलने के इस मामले को पहला और दुर्लभ मामला भी नही कहा जा सकता है. यह मामला संकेत दे रहा है कि नोटो की चमक के आकर्षण में सदर अस्पताल में पहले से ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदले जाते रहे है. ऐसे में मामले की गहराई से जांच की जरूरत है और सच में मामले की सही जांच होती है तो निःसंदेह सफेद लबादे वाले डॉक्टरों की काली करतूत और काले चेहरे उजागर हो सकते है. इस मामले में पूछे जाने पर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. सुनील कुमार ने पहले तो आश्चर्य जताया. फिर कहा कि ऐसा होना संभव नहीं है. पुनः कहा कि वें मृतक के पोस्टमार्टम रिपोर्ट से जुड़े हर पहलू की बारीकी से जांच कराएंगे. जांच में जो भी चिकित्सक दोषी पाएं जाएंगे, उनपर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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