औरंगाबाद/ Dinanath Mouar मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का “छाती तोड़ देने” वाला बयान देकर बयानवीर के रूप में लंबे समय तक चर्चा में रहे लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व सांसद डॉ. अरूण कुमार ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नरेटी (गला) दबाने संबंधी हालिया बयान को आपत्तिजनक बताते हुए पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका (पीआइएल) दायर करने का ऐलान किया है.
शनिवार को डॉ. कुमार ने प्रेसवार्ता में पूर्व के अपने छाती तोड़ने वाले बयान और राजद सुप्रीमो के आपत्तिजनक बयान के संदर्भ में प्रतिक्रिया मांगे जाने पर कहा कि उन्होने नीतीश कुमार के खिलाफ छाती तोड़ने वाला बयान तब दिया था, जब राज्य में एक जाति विशेष पर जुल्म हो रहा था तो उसी संदर्भ में उन्होने उस वक्त भाजपा के कार्यालय में मुहावरा के सेंस में कहा था कि हमलोग हाथ पर हाथ धर कर बैठने वाले लोग नही है बल्कि नीतीश कुमार की छाती तोड़ देने वाले लोग है और जरूरत पड़ी तो ऐसा कर देंगे. इस बयान के लिए मुझे निचली अदालत ने तीन साल की सजा भी सुनाई. उन्होने यह भी कहा कि छाती तोड़ने से दर्द होता है, लेकिन नरेटी (गला) दबाने से मौत होती है. कहा कि लालू प्रसाद का पीएम मोदी का नरेटी दबाने वाला बयान बेहद आपत्तिजनक है. उनके इस विवादास्पद बयान के लिए मैं जनहित याचिका दायर करूंगा. कहा कि याचिका दायर करने के लिए उनकी एक टीम है और टीम अपना काम करेगी.
पूर्व सांसद डॉ. अरूण कुमार एलजेपीआर सुप्रीमो चिराग पासवान द्वारा औरंगाबाद के मदनपुर के सोनारचक में पांच बच्चों की डूबने से हुई मौत और रफीगंज के भदवा में अपराधियों द्वारा चार दुकानों को फूंके जाने की घटना की जांच के लिए गठित सात सदस्यीय जांच टीम लेकर शनिवार को औरंगाबाद आए थे. दोनों जगहों पर टीम के साथ जाकर परिजनों और पीड़ितों से मुलाकात के बाद पूर्व सांसद ने यहां प्रेसवार्ता की. प्रेसवार्ता में उन्होने नीतीश सरकार को आड़े हाथों लिया और जमकर भड़ास निकाली. कहा कि नीतीश कुमार धृतराष्ट्र है और वे धृतराष्ट्रों की टीम स घिरे है. इसी वजह से राज्य में हो रहे अपराध उन्हे नजर नही आ रहे है. उन्होने कहा कि सोनारचक में पोखर में पांच बच्चों की डूबकर हुई मौत के लिए औरंगाबाद का शासन- प्रशासन दोषी है. यह हादसा नहीं, बल्कि हत्या है, क्योकि वहां मनरेगा के तहत पोखर नहीं, बल्कि पोखर में गहरा कुआं खोद दिया गया. पोखर की गहराई तो मात्र दो फीट ही थी लेकिन कुआंनुमा खड्ढ़ा काफी गहरा था. इतना ही नही इसकी खुदाई में मानव श्रम का इस्तेमाल नही किया गया बल्कि जेसीबी से खुदाई की गई, जो सरासर गलत है. यदि श्रमिकों से पोखर की खुदाई होती तो पोखर में कुआं नही होता और न ही बच्चों की मौत होती.
पूर्व सांसद ने भदवा की घटना पर कहा कि जिनके दुकान फूंके गए है, वें सभी महादलित है. इस मामले में रफीगंज के अंचल अधिकारी का बयान बेहद शर्मनाक है. कहा कि अंचल अधिकारी का यह कहना कि यदि घर जल जाता तो मुआवजा मिलता लेकिन दुकान जलने का मुआवजा नही दे सकते, बेहद शर्मनाक और संवेदनहीन है. सरकार और उसके अधिकारी दोनों ही संवेदनहीन है. कहा कि सोनारचक के पीड़ित परिवारों के लिए चार- चार लाख का मुआवजा काफी नही है, उन्हे 20- 20 लाख का मुआवजा सरकार दे. साथ ही भदवां के पीड़ितों को भी उचित मुआवजा मिले. पार्टी दोनों मामलों में अपनी ओर से भी मदद करेगी और दोनों घटनाओं के पीड़ितो को मुआवजा नही मिला तो पार्टी इसे लेकर आंदोलन करेगी.