National Desk देश में इन दिनों अडानी समूह को लेकर जारी हिडनबर्ग की रिपोर्ट पर घमासान मचा हुआ है. हिडनबर्ग की रिपोर्ट को जहां केंद्र सरकार ने विदेशी साजिश बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया वहीं सुप्रीम कोर्ट मामले में सख्त है.
इधर गुजरात ऊर्जा निगम लिमिटेड के एक पत्र से केंद्र सरकार फिर से कटघरे में है. पत्र से यह साबित हो गया है कि गुजरात ऊर्जा निगम लिमिटेड दरअसल गुजरात ऊर्जा लिमिटेड नहीं बल्कि अडानी विकास लिमिटेड के रूप में काम कर रहा था. आइए जानते हैं कि आखिर क्या है उस पत्र में और क्यों इतना घमासान मचा हुआ है.
दरअसल एक वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े ने ऐसा दावा किया है कि गौतम अडानी की कंपनी अडानी पवार मुद्रा ने गुजरात ऊर्जा निगम लिमिटेड से एक करार के तहत 15/ 10/ 2018 से 31 मार्च 2023 तक कुल पांच सालों में ऑर्गन ग्लोबल कोल एनर्जी मॉनिटर नामक एजेंसी के तय दर के आधार 13802 हजार करोड़ रुपए एनर्जी चार्ज के रूप में वसूल किए हैं. उन्होंने दावा किया है कि करार में इस बात का उल्लेख किया गया है कि ऑर्गन ग्लोबल कोल एनर्जी मॉनिटर संस्था यह तय करेगी कि अडानी पवार मुद्रा द्वारा इंडोनेशिया से खरीदे गए कोयले का दर बताया जाएगा. जबकि उस दौर में इंडोनेशिया में कोयले की कीमत कम थी बावजूद इसके गुजरात ऊर्जा निगम लिमिटेड अडानी पॉवर को बगैर किसी दस्तावेज के एनर्जी बिल चुकाती रही.
वानखेड़े का दावा है कि जब सेबी और सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड से अडानी पॉवर मुद्रा को चुकाए एनर्जी बिल का रिपोर्ट तलब किया तब गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड ने अडानी पॉवर मुद्रा से पांच साल में इंडोनेशिया से खरीदे गए कोयले का हिसाब मांगा जिसे अडानी पॉवर मुद्रा दे पाने में असमर्थ रही है. बताया जा रहा है कि अडानी ऊर्जा उस वक्त का जो दस्तावेज दे रही है उसमें रेट काफी अधिक दिखाया गया है, जबकि उक्त कार्यकाल में इंडोनेशिया में कोयले की कीमत कम थी. निगम ने जब ऑर्गन ग्लोबल से रेट मिलान किया तो पाया कि 3802 हजार करोड़ रुपए अडानी पॉवर मुद्रा को ज्यादा चुकाए गए हैं. रिपोर्ट में यह भी दावा किया जा रहा है कि गुजरात ऊर्जा विकास लिमिटेड ने गौतम अडानी को पत्र लिखकर 3802 हजार करोड़ रुपए वापस लौटाने और पांच साल के कोयले की खरीद- बिक्री का ब्यौरा तलब किया है. जिसे अबतक अडानी पॉवर द्वारा नहीं दिया गया है. इससे साफ समझा जा सकता है कि किस तरह डबल इंजन की सरकार में अदानी कंपनी ने लूट मचाया. इससे साlफ जाहिर होता है कि गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड ने सरकारी खजाने को लुटवा दिया और गुजरात से लेकर केंद्र तक की सरकार चुप बैठी रही.