चक्रधरपुर/ पूरे देश से हो भाषा बोलने वाले लोगों द्वारा हो भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने को लेकर दिल्ली में सोमवार को एक दिवसीय धरना- प्रदर्शन आयोजित की गई, जिसमें देश के विभिन्न राज्य जैसे झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, असम और महाराष्ट्र से भी लोगों का धरना- प्रदर्शन जंतर मंतर पर देखा गया.
आज के एकदिवसीय धरना प्रदर्शन को लेकर विभिन्न राज्यों से लगभग 1500 से 2000 किलोमीटर की लंबी यात्रा तय कर हो भाषा बोलने वाले लोग इस प्रदर्शन में शामिल हुए. जिसमें लगभग 2000 से 2500 लोगों का भारी जमावड़ा जंतर मंतर पर देखा गया. हो समाज के अगुआओं ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा, कि अगर हो भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में 2024 से पहले शामिल नहीं की जाती है तो अगला आंदोलन झारखंड, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ मिलकर पूरी तरह से अनिश्चितकालीन के लिए आर्थिक नाकेबंदी की जाएगी जिसमें झारखंड उड़ीसा से एक भी लौह अयस्क देश के किसी भी कोने में लेने नहीं दिया जाएगा.
वहीं आदि संस्कृति एवं विज्ञान संस्थान के केंद्रीय अध्यक्ष दामोदर सिंह हंसदा ने भी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर हो भाषा को संविधान के अनुसूची में शामिल नहीं की जाती है तो कोल्हान जो कि पूरे राज्य और दुनिया को लौह अयस्क, कोयला और तमाम तरह की प्राकृतिक संपत्ति देती है वो सारे अनिश्चितकालीन के लिए बंद कर दी जाएगी. मौके पर सांसद गीता कोड़ा, डॉ. बबलु सुंडी, गब्बर सिंह हेंब्रम, बीरसिंह बुरीउली, बाबू राम सोय, गोनो हेस्सा आदि मौजूद रहे.