जमशेदपुर: पीएम मोदी इन दिनों एनडीए के सांसदों के साथ संवाद कर उनके रिपोर्ट की समीक्षा कर रहे हैं. अंदरखाने की माने तो इस बार कई सांसदों की टिकट कट सकती है. मौजूदा सांसद अपनी सीट बचाने की जुगत भिड़ाने में जुटे हुए हैं.
सूत्रों की माने तो पीएम मोदी वैसे सांसदों को यह समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि टिकट कटने के बाद बगावती रुख अख्तियार न करें इससे पार्टी को नुकसान हो सकता है. हालांकि भाजपा ऐसे प्रयोग कर कई चुनावी बैतरनी पार कर चुकी है.
झारखंड के भी मौजूदा सांसदों की धड़कनें तेज हैं. सूत्रों की माने तो इस बार पार्टी दो तिहाई सांसदों की टिकट काट सकती है. कुछ को दूसरे संसदीय क्षेत्र से भी लड़ाने की तैयारी चल रही है. आज यहां जमशेदपुर लोकसभा सीट की बात कर रहे हैं. इस लोकसभा सीट से पार्टी दो बार के सांसद विद्युत वरण महतो का टिकट काट सकती है. अंदरखाने की अगर माने तो दो बार सांसद रहने के बाद भी पार्टी का यहां पीएम मोदी के चमत्कार के आसरे पर टिकी है. मौजूदा सांसद का यदि टिकट कटता है तो पार्टी यहां किसपर दांव लगाएगी इसपर मंथन तेज हो चुका है. मगर पार्टी की सबसे बड़ी परेशानी ये है कि पार्टी का बेंच स्ट्रेंथ इस मामले में बिल्कुल कमजोर है. भाजपा थिंक टैंक ने कभी सेकेंड लाइन नेता को आगे बढ़ने नहीं दिया.
जमशेदपुर संसदीय सीट से भाजपा का संभावित प्रत्याशी कौन होगा इसे जानने से पहले जमशेदपुर लोकसभा सीट के विषय में कुछ जरूरी जानकारी यहां हम साझा कर रहे हैं. आपको बता दें कि जमशेदपुर लोकसभा सीट में जातीय समीकरण के अनुसार अनुसूचित जनजाति- 26%, अनुसूचित जाति- 11%, कुड़मी- 8%, सवर्ण- 22%, मुस्लिम- 15% एवं अन्य- 18% हैं. 22 फीसदी हिस्सेदारी के बाद भी सवर्णों को पार्टी लंबे समय से टिकट नहीं दे रही जो पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है. इस बार सवर्ण इस सीट पर निर्णायक भूमिका में रहेंगे. सार्वाधिक 26% अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या है. यहाँ से अर्जुन मुंडा वर्ष 2009 में सांसद रह चुके हैं, जबकि महाभारत के भगवान कृष्ण रहे नितीश भारद्वाज भी जमशेदपुर से सांसद रहे. इसके बाद 2014 से लगातार विद्युत वरण महतो इस सीट से चुनाव जीतते रहे हैं मगर सूत्र बताते हैं कि उनका रिपोर्ट कार्ड पीएम मोदी ने खारिज कर दिया है. वजह कुड़मी आंदोलन और खतियानी आंदोलन की उपज जयराम महतो द्वारा अलग पार्टी की घोषणा करने के बाद विद्युत महतो के वोट बैंक का ग्राफ गिरा है. हालांकि इसका नुकसान झामुमो को भी होगा. वैसे झामुमो या यूं कहें “इंडिया” के पास कुड़मी के अलावा परंपरागत आदिवासी वोट बैंक है जो भाजपा को इसबार नुकसान पहुंचा सकता है और यही वजह है कि पीएम मोदी जमशेदपुर संसदीय सीट को लेकर कड़े निर्णय ले सकते हैं.
कुणाल पर पार्टी लगा सकती है दांव; ये है वजह
अंदर खाने की अगर मन तो भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और बहरागोड़ा के पूर्व विधायक रहे युवा तुर्क कुणाल षाड़ंगी पर पार्टी इस बार दांव लगा सकती है. कुणाल षाड़ंगी को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का वरदहस्त प्राप्त है और उन्हीं के कार्यकाल में उन्होंने बहरागोड़ा से झामुमो से विधायक रहते पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे. 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें पार्टी ने बहरागोड़ा से टिकट दिया था मगर वे चुनाव हार गए थे, बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार जमशेदपुर ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्र में सक्रिय रहे और पार्टी के हर गतिविधियों में शामिल रहे. कुणाल की सेवा भावना और सक्रियता को जमशेदपुर सहित कोल्हान ने कोरोना महामारी के दौरान नजदीक से देखा और अनुभव किया है. ये वही दौर था जब बड़े- बड़े नेता और पूंजीपतियों ने संक्रमण के डर से बाहर निकालना छोड़ दिया था. तब कुणाल षाड़ंगी ने आगे बढ़कर मोर्चा संभाला था. अपने सोशल मीडिया के माध्यम से हज़ारों पीड़ित एवं जरूरतमंद परिवारों तक जीवन रक्षक दवाईयां पहुंचाने सहित ऑक्सीजन सिलेंडर की सहायता के अलावे अस्पताल में बेड दिलाने तक में मदद किया था.
कुणाल के पक्ष में युवाओं का बड़ा जनाधार है. युवाओं को उम्मीद है कि कुणाल जैसे शिक्षित जनप्रतिनिधि को अपनी आवाज बनानी चाहिए. युवाओं और एक बड़े धड़े का मानना है कि कुणाल षाड़ंगी को यदि भाजपा सांसद का टिकट देती है तो लोगों में एक सकरात्मक ऊर्जा आयेगी. अबतक जमशेदपुर में सरकारी अस्पताल के नाम पर एमजीएम अस्पताल ही है जो कोल्हान की सबसे बड़ी हॉस्पिटल है, लेकिन इसकी लचर व्यवस्था और बदहाली सर्वविदित है. एक बड़ी आबादी का मानना है कि कुणाल षाड़ंगी ही वो नेता हो सकते हैं जो यदि सांसद बनते हैं तो जमशेदपुर में एम्स और आईटीआई जैसे संस्थान का सौगात जमशेदपुर को मिल सकता है. बता दें कि सांसद के विफलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भूमि पूजन के बाद भी लगातार धालभूमगढ़ एरपोर्ट नहीं बन पाने से जमशेदपुर का अपेक्षित विकास नहीं हो सका है. वैसे इस रेस में कोल्हान के पूर्व कमिश्नर विजय सिंह एवं डीआईजी रहे राजीव रंजन सिंह भी शामिल है. अब देखना या दिलचस्प होगा कि पार्टी किस पर दांव लगती है.