सरायकेला/ Pramod Singh कांन्ड्रा से डुमरा हुदू, कुनामारचा होकर सीनी जानेवाली जर्जर सड़क एंव राजनगर में डिग्री कालेज की मांग
को लेकर भाजपा नेता रमेश हांसदा के नेतृत्व में
हूदू और राजनगर के ग्रामीण अनुमंडल कार्यालय के बाहर
अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठे भाजपा नेता रमेश हांसदा ने कहा कि जब तक विभाग की और से लिखित आश्वासन नहीं मिलेगा हमलोग अनशन पर बैठे रहेंगे.
यहां के स्थानीय विधायक सह मंत्री चंपाई सोरेन को विकास से कोई
मतलब नहीं है, वे नहीं चाहते यहां के आदिवासी आगे बढ़े और
आर्थिक रूप से मजबूत हो. राजनगर में शिक्षा के लिए आज तक डिग्री कालेज का नहीं बनना ये दर्शाता है कि मंत्री चंपाई सोरेन नहीं चाहते कि राजनगर के लोग शिक्षित हो और नौकरी पेशा करें. वे चाहते हैं राजनगर के लोग वेवकूफ बने. उसका झंडा ढोते रहें. अब जनता को जागना होगा और आंदोलन को मुकाम तक पहुंचाना होगा.
हुदू डुमरा सड़क निर्माण एवं राजनगर में डिग्री कॉलेज की मांग बहुत ही पूरानी है, बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि झारखंड बनने के 23 साल के बाद भी सरायकेला विधानसभा
क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. स्थानीय जनप्रतिनिधि लंबे समय में रहने के बाद भी जनता की सुविधा के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठा पाए. विगत एक वर्ष से
हुदू- डुमरा पंचायत क्षेत्र के ग्रामीण सड़क बनाने के लिए
आंदोलनरत हैं. एकमात्र सड़क जो कांड्रा से होकर डुमरा होते
हुए हुदू, जंगली खास होते हुए सीनी तक जाती है. जिसमें
लगभग 20000 से ज्यादा की आबादी इस सड़क से प्रभावित
होती है. आज हालत यह है की इस सड़क में किसी गर्भवती
महिला को ले जाया जाएगा तो रास्ते में ही प्रसव हो जाएगा.
बड़े- बड़े पत्थर सड़कों पर निकल आए हैं. यहां के
ग्रामीणों ने हुदू से जिला मुख्यालय तक पैदल जा कर सरकार
को अर्जी दी थी, परंतु सड़क नहीं बनी. इसलिए अब ग्रामीण
के पास आमरण अनशन के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा. राजनगर प्रखंड में एक लाख से ज्यादा आबादी होने के बावजूद बच्चों के पढ़ाई के लिए एक डिग्री कॉलेज नहीं है यदि
बच्चे इंटर पास कर गए या तो उन्हें जमशेदपुर शहर या फिर
चाईबासा के लिए जाना पड़ता है. अधिकतर गरीब बच्चे इंटर
करने के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं. क्षेत्र के मंत्री को शिक्षा से कोई
लेना- देना नहीं जिस वजह से आज तक यहां यहां उच्च शिक्षा
के लिए कोई भी कारगर कदम नहीं उठाया गया है.
आमरण अनशन बैठने वालों में मुख्य रूप से रमेश हांसदा, पांडुराम सरदार, मनशा मुर्मू, प्रकाश सरदार, लालचंद महतो, रोहिण टूडू, रामू सरदार, कुष्णा टूडू, चिन्मय महतो, जितेन महतो आदि हैं. कार्यक्रम का संचाल सीताराम हांसदा ने किया, मुख्य रूप से वक्ता के रूप में बीके सिंह, राजा सिंहदेव, अमित सिंहदेव, हरेकृष्णा प्रधान, बद्रीनारायण दारोगा, सुमित्रा मार्डी, अभिजीत दत्ता, रशमी साहू, जगदीश महतो, माईकल महतो, रामेश्वर मंडल, पवन महतो, चतुर हैम्ब्रम, एंव सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे.
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