DESK हिंदू धर्म में अमरनाथ यात्रा का विशेष महत्व है. प्रत्येक वर्ष भगवान शिव के भक्त इस यात्रा का इंतजार करते हैं. बता दें कि शिव भक्त समुद्र तल से 13,600 फीट की ऊंचाई पर स्थित बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए लंबी और कठिन यात्रा तय करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमरनाथ धाम को मोक्ष का द्वार भी बताया गया है. यहां भगवान शिव स्वयंभू शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं.
*आइए जानते हैं, कब से शुरू हो रही है बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए अमरनाथ यात्रा*
बता दें कि भगवान शिव के दर्शन के लिए बाबा बर्फानी अमरनाथ यात्रा 01 जुलाई से शुरू हो रही है. खास बात यह है कि इस विशेष दिन पर शनि प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है और इस यात्रा का समापन 62 दिन बाद 31 अगस्त को सावन मास के पूर्णिमा तिथि के दिन होगा. इसके साथ इस यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन की शुरुआत अप्रैल माह से ही हो चुकी है, जिसे ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से किया जा सकता है.
शास्त्रों में भगवान शिव के अमरनाथ धाम से जुड़ी कई रोचक बातें प्रचलित हैं. एक कथा यह भी है कि एक बार जब माता पार्वती को कथा सुनाने के लिए भगवान शिव अमरनाथ की गुफा में ले गए थे. तब उन्होंने अपने गणों को अलग- अलग स्थानों पर रुकने का आदेश दिया था. पहलगाम में नंदी भगवान, चंदनबाड़ी में चंद्रमा, शेषनाग नामक स्थान पर सर्प को और गंगा जी पंचतरणी में रुक गई थीं.
अमरनाथ गुफा में भगवान शिव के समस्त परिवार के दर्शन प्राप्त होते हैं. गुफा में स्थित माता पार्वती के शक्तिपीठ की गणना सिद्ध 51 शक्तिपीठों में की जाती है. मान्यता है कि यहां देवी सती का कंठ गिरा था. धार्मिक मान्यता है कि बाबा बर्फानी के दर्शन से समस्त कष्टों का नाश हो जाता है और व्यक्ति को सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है.