सरायकेला: अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने जिला शिक्षा अधीक्षक के पत्रांक संख्या 600 किचन स्टोर की मरम्मत एवं सुदृढ़ीकरण संबंधी आदेश पर आपत्ति जता जताते हुए पुनर्विचार की मांग को लेकर जिला शिक्षा अधीक्षक को एक मांग पत्र सौंपा है.
सौंपे गए मांग पत्र के माध्यम से संघ के सदस्यों ने बताया कि प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के तहत जिले के 114 विद्यालयों को किचन स्टोर की मरम्मत एवं सुदृढ़ीकरण से संबंधित कार्य हेतु आवंटन प्राप्त हुआ हुआ है. जिसमें कहा गया है कि बीते 6 जून 23 को संबंधित प्रभारियों के साथ बैठक जिला शिक्षा अधीक्षक ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि संबंधित विद्यालय प्रभारी अपनी राशि से योजना कार्य को पूर्ण करेंगे. क्रियान्वित योजना का फोटोग्राफ सहित उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रखंड कार्यालय में जमा करेंगे. प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, कनीय अभियंता तथा जिला शिक्षा अधीक्षक द्वारा तकनीकी अनुमोदन के पश्चात राशि निर्गत की जाएगी. योजना क्रियान्वयन की उपरोक्त वर्णित प्रणाली पर शिक्षक समूह तथा संगठन को घोर आपत्ति है. बताया कि सर्व शिक्षा अभियान के प्रारंभिक काल से हजारों स्कूल भवन का निर्माण तथा मरम्मत का कार्य शिक्षकों की देखरेख में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ है. कभी भी शिक्षकों ने अपने पॉकेट से पैसा लगाकर योजना का क्रियान्वयन नहीं किया है. कार्य प्रारंभ करने के पूर्व ही अग्रिम के रूप में एक मोटी राशि विद्यालय प्रबंधन समिति के बैंक खाते में हस्तांतरित की जाती थी, तथा योजना कार्य की प्रगति के आधार पर शेष राशि आवंटित किया जाता था. संघ ने इसको लेकर तीन सूत्री मांग पत्र जिला शिक्षा अधीक्षक को सौंपा है.
ये हैं तीन सूत्री मांग
संघ ने मांग किया है कि प्रभारी शिक्षक विभागीय योजना के क्रियान्वयन हेतु संवेदक के रूप में चिन्हित नहीं है तथा योजना में संवेदक को दी जाने वाली वित्तीय लाभ का प्रावधान भी नहीं है. ऐसी स्थिति में प्रभारी शिक्षक आर्थिक जोखिम क्यों लेंगे.
अपने पारिवारिक खर्च, बच्चों के उच्च शिक्षा तथा गृह निर्माण बैंक लोन आदि के भुगतान के पश्चात महीने के अंत में शिक्षकों के बैंक खाते में ना के बराबर राशि शेष बचता है. ऐसी स्थिति में शिक्षक योजना के क्रियान्वयन में पैसा कहां से लगाएंगे. साथ ही वर्तमान व्यवस्था में योजना क्रियान्वयन के पश्चात राशि की विमुक्ति के दौरान भ्रष्टाचार की प्रबल संभावना बनी रहेगी. प्रभारियों को अपनी जमा पूंजी की की वापसी के लिए विद्यालय का शिक्षण कार्य को छोड़कर प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, कनीय अभियंता तथा जिला शिक्षा अधीक्षक के कार्यालयों का चक्कर काटना मजबूरी हो जाएगा.
संघ ने उक्त कार्य के निष्पादन में संभावित परेशानियों को देखते हुए प्रासंगिक पत्र पर आपत्ति जताते हुए पुनर्विचार हेतु की मांग की है. साथ ही चेतावनी दिया है, कि सकारात्मक पुनर्विचार ना होने की स्थिति में शिक्षक लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन के लिए मजबूर हो सकते हैं.
ये रहे मौजूद
ज्ञापन देने वालों में प्रदेश उपाध्यक्ष दीपक दत्ता, जिला अध्यक्ष मानिक प्रसाद सिंह, महासचिव सुदामा मांझी, उपाध्यक्ष मनोज सिंह, देवेंद्र नाथ साहू, संगठन सचिव बलराज हांसदा, सोमेन दास आदि शिक्षक शामिल रहे.