चांडिल: सरायकेला जिले के चांडिल डैम सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना के तहत डैम के विस्थापितों के लिए विशेष तौर पर आवंटित पुनर्वास जमीन पर अब माफियाओं का बोलबाला हो चला है. माफिया अच्छी खासी कीमत पर पुनर्वास की जमीन को बेचकर मालामाल हो रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना के अधिकारी कुंभकर्णी निंद्रा में लीन हैं. विभाग द्वारा माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने से माफियाओं के हौसले बुलंद हैं.
दअरसल, सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना द्वारा चांडिल डैम के विस्थापितों के लिए चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर पुनर्वास स्थल का आवंटन किया गया है. जहां केवल विस्थापितों को ही जमीन उपलब्ध कराने का प्रावधान है. परियोजना द्वारा जिन विस्थापित परिवारों को विकास पुस्तिका निर्गत किया गया है, उन्हें पुनर्वास की जमीन दी जाती हैं, लेकिन यहां एक पुनर्वास स्थल ऐसा भी जहां अवैध रूप से जमीन पर धड़ल्ले से कब्जा किया जा रहा है. जबकि, पुनर्वास नीति से स्पष्ट है कि पुनर्वास की जमीन खरीद- बिक्री गैर कानूनी है. जमीन खरीद बिक्री में संलिप्त लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का प्रावधान है.
मगर चांडिल थाना क्षेत्र के चिलगु पुनर्वास कॉलोनी में इन दिनों अवैध रूप से जमीन खरीद- बिक्री धड़ल्ले से किया जा रहा है. जमीन माफियाओं द्वारा विस्थापितों के श्मशान घाट की जमीन को भी बेचकर उनमें घर निर्माण करवाया जा रहा है. बताया जाता है कि 3- 4 लाख रुपये के दर से 12- 15 डिसमिल जमीन बेची जा रही है. हाल ही में 15- 16 लोगों को जमीन बेचा गया है. चिलगु पुनर्वास कॉलोनी के ग्रामीणों से इस संबंध में पूछे जाने पर बताया कि प्रभावशाली लोगों द्वारा आए दिन पुनर्वास की जमीन को गैर विस्थापित लोगों को बेचा जाता है, विरोध करने पर जान से मारने तथा गांव से भागने की धमकी दी जाती है. इसके कारण ग्रामीण उन माफियाओं का विरोध करने तथा कहीं लिखित शिकायत करने से डरते हैं.
ग्रामीणों ने बताया कि चिलगु निवासी हेमंत गोप उर्फ गाडू गोप, नेपाल गोप, सीता गोप द्वारा एक टीम बनाकर अवैध रूप से जमीन बेचा जा रहा है. इन लोगों द्वारा हाल ही में श्मशान घाट के बगल में दो लोगों को जमीन बेचा गया है. इस मामले में सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना के अधिकारी भी मौन धारण किए हुए हैं, जिन्हें पुनर्वास के जमीन के संरक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं.