चक्रधरपुर/ Ashish Kumar Verma सिल्ली विधानसभा के पूर्व विधायक अमित महतो द्वारा पिछले 11 फरवरी से खतियान आधारित नियोजन नीति लागू करने को मांग को लेकर मैराथन दौड़ का आयोजन किया जा रहा है. यह मैराथन सभी विधानसभा में आयोजित किया जा रहा है.
इसी कड़ी में शनिवार को 1932 के खतियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति की मांग को लेकर चक्रधरपुर विधानसभा के बसंत महतो व बासिल हेम्ब्रम के नेतृत्व में स्थानीय लोगों के साथ 21 किलोमीटर की दौड़ लगाई. इसमें सिल्ली के पूर्व विधायक अमित महतो भी शामिल रहे.
इस दौड़ की सुरुआत मारवाड़ी+ 2 हाई स्कूल के समीप स्थित पोड़ाहाट स्टेडियम से हुई जो आसनतालिया गांव होते हुए- इंदकाटा- मोहरांगटांड- टिकरचांपी- पुराना बस्ती- दंदा साई- बांग्लाटांड- धातकीडीह- चेलाबेड़ा- पंप रोड- विधायक दशरथ गागराई का आवास होते हुए पेट्रोल पंप, पोटका- NH75 पर इतवारी बाजार- फ्लाईओवर- पवन चौक से भगत सिंह चौक – चेक नाका होते हुए पुन: पोड़ाहाट स्टेडियम में इस मैराथन दौड़ का समापन किया गया.
पवन चौक में मीडिया से मुखातिब होते हुए पूर्व विधायक अमित महतो ने हेमंत सरकार और पूर्व की एनडीए सरकार पर भी निशाना साधा. कहा कि दोनों ने झारखंड के लोगों को उपेक्षित रखा है. राज्य गठन के 22 साल बाद भी खतियान आधारित नियोजन और स्थानीय नीति का निर्धारण नहीं हुआ है. जिसके कारण युवाओं को रोजगार से वंचित रहना पड़ रहा है. सत्ता में बैठते ही हेमंत सरकार की सूर बदल गई है और वे भी पुरानी सरकार के नक्शे कदम पर चल रहे है. उन्होंने कहा कि झारखंडियों को 1985 और 60: 40 के आधार पर स्थानीय और नियोजन नीति की जरूरत नही, उन्हें जरूरत है 1932 ख़ातियान आधारित स्थानीय नीति की. उन्होंने कहा कि झारखंड के शासन- प्रशासन को चलाने के लिए झारखंड के लोगों को आगे लाना चाहिए तब जाकर शासन- प्रशासन अच्छे से चलेगा. धनी राज्य के हम सबसे गरीब लोग है.
उन्होंने बताया कि खतियान आधारित स्थानीय एवं नियोजन नीति समेत अन्य मांगों को लेकर गत 20 जनवरी 2022 को सीएम हेमंत सोरेन को एक महीना का अल्टीमेटम दिया था और इस अल्टीमेटम के तहत 20 फरवरी 2022 तक उनकी मांग पूरी नहीं की गई. जिसको लेकर उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. आज भी झारखंड मुक्ति मोर्चा के सरकार से आस है, क्योंकि वे खुद खतियानी है. इसलिए इस मांग को लेकर 129 दिनों का यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है. जिसका आज 113 वां दिन है. अगर हमारी मांगों को 129 दिनों तक नहीं माना गया तो झारखंड के युवा आपको समझाएंगे.