चक्रधरपुर/ पश्चिमी सिंहभूम जिला उपायुक्त के निर्देशानुसार ज्रेडा सौर ऊर्जा नीति-2022 के तहत सौर ग्रामों में बिजली आपूर्ति की विश्वसनीयता और गुणवत्ता में सुधार, ग्रामीण आय को बढ़ावा देने, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत कर ने व ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सौर को एकीकृत करके रोजगार का अवसर प्रदान करने के निमित्त चक्रधरपुर प्रखंड अंतर्गत भरनिया में प्रखंड विकास पदाधिकारी- चक्रधरपुर की मौजूदगी में स्वनिति इनिशिएटिव के ग्रीन एसोसिएट विभव कुमार शर्मा एवं टीम द्वारा संलग्न हित धारकों और ग्रामीणों की उपस्थिति में उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया.
कार्यशाला के दौरान ज्रेडा सौर ऊर्जा नीति-2022 के निमित्त बताया गया कि योजना का मुख्य उद्देश्य गांव में सौर ऊर्जा के माध्यम से ऊर्जा की आवश्यकता को पूरा करने के साथ- साथ ग्रामीणों के आर्थिक एवं सामाजिक विकास को बढ़ावा देना है. वर्तमान नीति के तहत राज्य के 1000 गांवों को सौर ग्राम के रूप में विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित है, तथा योजना के तहत प्रथम चरण में प्रत्येक जिला से 10 ग्रामों को सौर ग्राम के रूप में विकसित किया जाना है.
ज्रेडा सौर ग्राम योजना से संबंधित जानकारियां
कम्यूनिटी सोलर के माध्यम से ग्रामों को बिजली देना
कम्यूनिटी सोलर का प्राथमिक उद्देश्य कच्चे मकानों का अनुपयोगी छत एवं प्रतिघर कम विद्युत खपत जैसी बाधाओं को ध्यान में रखकर किसी एक स्थान पर समुदाय के विद्युत भार के अनुरूप सोलर पावर प्लांट का अधिष्ठापन कराया जाएगा. सौर ग्रामों का स्वामित्व स्थानीय समुदाय, डेवलपर या ज्रेडा के पास हो सकता है. सोलर प्लांट को सामुदायिक परिसर या डिस्कॉम सब- स्टेशन भूमि पर फीडर के करीब रखा जाएगा. उत्पन्न बिजली को ग्रिड में इंजेक्ट किया जाएगा तथा वर्चुअल नेट मीटरिंग का प्रावधान किया जाएगा.
संस्थागत सुविधाओं को सशक्त और मजबूत करना
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, स्कूलों, पुलिस थानों, पंचायत भवनों, आंगनवाड़ी, किसान प्रशिक्षण केन्द्रों और किसी भी अन्य संस्थानों जैसी संस्थागत सुविधा केंद्रों को विद्युत आपूर्ति के लिए रूफटॉप सौर संयंत्रों की स्थापना करना. संयंत्रों को CAPEX/RESCO या किसी अन्य नवीन मॉडल के तहत स्थापित किया जाएगा.
आजीविका हेतु विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा उपकरणों (DRE for Livelihood) के माध्यम से आजीविका को सशक्त बनाना
उत्पादक उपकरणों के संदर्भ में तीन क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा, जैसे- कृषि (आटा मिल, खाद्य प्रसंस्करण), पशुपालन (भक्षण, कटर) और अन्य संबद्ध गतिविधियां (साइबर कैफे कंप्यूटर, प्रिंटिंग मशीन, लोहार ब्लोअर, रेफ्रिजरेटर) आदि.
कृषि एवं कृषि आधारित SMEs
कृषि क्षेत्र को सौर ऊर्जा से जोड़ने के लिए पीएम- कुसुम योजनान्तर्गत स्टैंड एलोन सोलर पम्प, फीडर को सोलराइज़ करके या कृषि पंपों को सोलराइज़ करके कृषि की मांग को सौर ऊर्जा से पूरा करने पर ज़ोर दिया जाएगा.
उक्त उन्मुखीकरण कार्यशाला में स्वनिति इनिशिएटिव से सीनियर एसोसिएट अंकित पांडे व काउंसिल ऑफ एनर्जी, इनवायरमेंट एंड वाटर(CEEW)- दिल्ली से प्रोग्राम एसोसिएट श्रीमती भावना त्यागी उपस्थित रहे.