औरंगबाद/ Dinanath Mouar जिला विधिक सेवा प्राधिकार औरंगाबाद के बैनर तले प्राधिकार के सचिव एडीजे प्रणव शंकर के निर्देशानुसार बच्चों के गोद लेने से सम्बंधित प्रकिया एवं कानून विषय पर विधिक जागरूकता मध्य विद्यालय विश्रामपुर रिसियप में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसकी अध्यक्षता पैनल अधिवक्ता निवेदिता कुमारी और संचालन पारा विधिक स्वयं सेवक निर्मला कुमारी ने किया.
पैनल अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि उपस्थित बड़ी संख्या में महिलाओं को जागरूक करते हुए बताया गया कि नवविवाहित जोड़ा भी शादी के दो साल बाद बच्चे गोद ले सकते हैं. एक सितम्बर 2022 से स्थानीय कोर्ट के बजाय जिला मजिस्ट्रेट भी बच्चों को गोद लेने के आदेश दे सकते हैं. जिला मजिस्ट्रेट को गोद लेने की प्रक्रिया पूरी करने तथा संकट में फंसे बच्चों को सहयोग करने का नया अधिकार दिया गया है,
यह अधिकार देने के पीछे कारण यह है, कि भारत में 3 करोड़ 10 लाख बच्चे अनाथ है, मगर जटिल कानूनी प्रक्रिया होने के कारण पांच साल में मात्र 16350 बच्चों को ही गोद लिया जा सका है. हजारों आवेदन लंबित है. इसलिए 1 सितम्बर 2022 से इस कानून को सरल बनाते हुए जिला पदाधिकारी को भी अधिकार दिया गया है.
अधिवक्ता ने आगे बताया कि बच्चों को गोद लेने वाले अभिभावक मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होने चाहिए. पति- पत्नी में सहमति होनी चाहिए. गोद लिए बच्चा और आवेदक के उम्र में पच्चीस साल का अंतर होना चाहिए. आर्थिक स्थिति अच्छी हो, यदि आवेदक पुरुष हो तो उसे लड़का ही गोद मिलेगा. इस अवसर पर विधालय के शिक्षक मो समद अंसारी, गोपाल प्रसाद सहित अन्य ग्रामीण भी उपस्थित थे.